जातीयातंकवाद्या नित् द्वेषमस्पृश्यताया: नु।।
Wednesday, 28 April 2021
वयं धर्म-रक्षका:।
जलं पिवति,
नाम न नदति भो!
गृहं गच्छति,
धर्मापराध: जातं,
तृषा बाधते,
मंदिरे मुस्लिम: रे!
दण्डयाम: नु,
वयं धर्म-रक्षका:।
यत्र-यत्र निर्वाचनंतत्र-तत्र न कोरोना
यत्र-यत्र निर्वाचनं
तत्र-तत्र न कोरोना,
सर्वत्र भवेत् निर्वाचनं
भारतम्मुञ्चेत् कोरोना।
न नास्तिक: स्यात्न कोsपि
न नास्तिक: स्यात्
न कोsपि आस्तिक: स्यात्।
वास्तविक: स्यात्।
न नास्तिक हो
न कोई आस्तिक हो
वास्तविक हो।
द्व्यप्रेलकृता:मृतका:
रक्षितुमधिकारान्न:
द्व्यप्रेलकृता: मृता:।
ये चिंतिता: न प्राणान्नु
वीरान्नुमोsस्तु तान् बलान्।।
एक पंछी नवांगतुक
एक पंछी नवांगतुक बोल रहा है, हे गुरुवर!
कितने ही पंछी शब्द हैं पाये, मुझे भी दो वर।
मधुर मोहक चुङ्कृति छेड़ूं हर-भोर हर-घर,
सर्वत्र फुदकूं हो चाहे मंदिर मस्जिद गिरजाघर ।।
मैंने भी है प्यार किया, बसा लिया मैने भी घर,
मेरी बीबी पेट से हुई, बनाना है मुझे अपना घर।
एक आरा उधारी में दे दो, भटक रहा हूँ दर-दर,
निकलेंगे चूजे जब अंडों से झंकृत हो उठेगा घर।।
मानता हूँ कुछ तिनके बिखरेंगे तुम्हारे आँगन में,
कुछ कुतरन, कुछ बीट और कुछ होंगे हमारे पर।
पानी पीऐंगे घिनौची का और दाने कुछ आंगन के
पर वादा है मेरे बच्चे भी फुदकैंगे तुम्हारे ही घर।।
मैं भी वही हूँ, हो जो तुम और तुम्हारे अपने भी,
एक ही है अम्बर छत तुम्हारी, है वही मेरा भी घर।
जिस हवा से हैं ज़िन्दा हम, हो उसी से तुम भी,
है एक-सा दाना-पानी हमारा और आपका गुरुवर!।।
तप रहा है सूर्य सिर पर और खुले में कौओं का डर,
मौसम आंधी-तूफानों का है और ओलावृष्टि का डर।
बच्चे-बीबी के साथ सुरक्षित रहना चाहूँ मैं तुम्हारे घर,
शरण दो, शरण दो, शरण दो, शरण दो हे गुरुवर!।।
Monday, 26 April 2021
मातादीन भंगी
1857 में आज के दिन मातादीन भंगी के कहने पर चर्बी लगे कारतूसों का प्रयोग करने से मना करते हुए विद्रोह कर दिया था। उन 85 क्रान्तिकारियों व उनके अगुआ मातादीन भंगी को शत् शत् नमन्।
पञ्चाशीतिजनाग्र: मातादीनहवल्दार:।
सर-जी-डब्ल्यु-फारेस्ट: राजपत्रेषु सूचित:।।
मङ्गल! कुत्र माङ्गल्यं गोवशागोलमत्ति रे!
जात्याभिमानभंगित: स: मातादीनभङ्गिना।।
गौतमरामहेत:
Sunday, 25 April 2021
Thursday, 15 April 2021
Dr. अम्बेडकर का देश के लिए विकास मे क्या योगदान है
Dr. अम्बेडकर का देश के लिए विकास मे क्या योगदान है
इसे संक्षिप्त में बताने का प्रयास किया है. इसे ठीक से समझे. उन्होंने क्या किया ये देखिये.
भारत में पहले लड़कियों को कोई अधिकार नहीं थे. पढ़ने, नौकरी के बारे में तो छोड़िये उन्हें घर से बहार निकलने की भी पाबन्दी थी. बस घर और चूल्हा यही उनकी हद थी.
1.उन्होंने भारत में प्रथम लड़कियों को स्त्रियों को पुरुषो के बराबरी के हक़ देने के लिए हिन्दू कोड बिल लिखा.
२.भारत में प्रथम नोकरदार गर्भवती अौरतों को वेतनी छुट्टियों का हक़ दिया.
३.लड़कियों को लड़को के बराबर समानता मिलाके दी.
लड़कियों को पढ़ने का हक़ दिलाया.
4.लड़कियों को प्रॉपर्टी में लडको के बराबर की हिस्सेदारी दी.
लड़कियों को नौकरी में भागीदारी दी.
5. गर्भावस्था में छुट्टी का अधिकार वो भी पूरे वेतन के साथ मिला के दिया.
6. एक पति के लिए एक पत्नी का अधिकार और दूसरी पत्नी के आते ही अपने पति से हिस्से का अधिकार प्राप्त करके दिया.
7. लड़कियों को आज़ादी से जीने का अधिकार दिया.
8.अपने शोषण के खिलाफ आदालत में जाने का अधिकार दिया.
9. अपनी मर्ज़ी से शादी का अधिकार दिया.
10. वोट देने का अधिकार दिया.
11. भारत में प्रथम अर्थशाश्त्र की नीव रखी.
12. भारत में प्रथम जलनीति तैयार की.
१3. भारत में प्रथम परिवार नियोजन का नारा दिया.
14. भारत के हर एक नागरिक को मतदान का हक़ दिया.
15. भारत में बालमजुरी पर रोक लगायी.
16. भारत से उच्च नीच जातिवाद की गुलामी से मुक्त किया.
17. भारत से सावकारी, वेठ्बिगारी पद्धत को बंद किया.
18. देश की घटना लिख के सामाजिक एवम भौगोलिक विविधता वाले देश को एक बनाये रखा.
19. देश के 85% जनता को समानता का अधिकार दिया.
20. देश की 85% जनता को उच्च वर्ग के साथ लाके खड़ा कर दिया.
21. दलितों पर से अलग अलग तरह के प्रतिबंद हटाये.
सभी को समान अवसर एवम सुविधा उपलब्ध करायी.
22. सभी को अपना धर्म चुनने की आजादी दी.
23. सभी को शिक्षा का अवसर प्रदान किया.
24. रिजर्व ऑफ इंडिया की स्थापना उन्ही के संकल्पना में हुयी, इस बैंक की स्थापना में उनका ही महत्वपूर्ण योगदान रहा. उन्ही के लिखित ''दि प्राब्लेम ऑफ दी रुपी'' इस प्रबंध के आधार पर रिझर्व बँक ऑफ इंडिया के रूल्स और रेग्युलेशन बनाये गए..
25. महाराष्ट्र राज्य के निर्माण मे इनका महत्व पुर्ण योगदान है
26. हीराकुण्ड बांध,भाखड़ा बांध, दामोदर बांध और सन प्रकल्प के निर्माते भी वही थे,
कोसी नदी पे धरना बांधो बिहार में कभी बाढ़ नहीं आएगी ये बताने वाले भी वही थे.
26. उन्होंने देश के मजूर मंत्री रहते वक़्त शिष्यवृत्ति योजना बनायीं. इससे हजारो टेक्निकल विद्यार्थी विदेश में पढ़ने जाते है.
27. मजूरों को पहले 12 घंटे काम करना पड़ता था. उसे घटाकर उन्होंने 8 घंटे कर दिया और इसके ऊपर के काम के लिए घंटे के हिसाब से अलग पैसे देने का प्रावधान किया.
28. ऊर्जा निर्मिति व्यवस्था के लिए उन्होंने "सेन्ट्रल टेक्निकल पॉवर बोर्ड CTPB की स्थापना की थी.
29. उन्हीने अपनी बुद्धि और परिश्रम से सिंचन और बंधारो के लिए आयोग की स्थापना की थी. क्यों की इनपे आर्थिक भर रहता है.
30. पानी के व्यवस्थापन के लिए, नैसर्गिक संसाधन, कोयला खान प्रकल्प के लिए उनका ही परिश्रम कारणीभूत है..
31. खेती, उद्योग, कारखानो के विकास और पुनर्वसन के लिए RCC reconstruction committee council की स्थापना की गयी थी वे वह सभासद थे. इसमें उनका योगदान महत्वपूर्ण रहा.
32. उन्होंने ही पहले ही बिहार और MP के दो पटना रांची और दक्षिण उत्तर ऐसे भाग करने को कहा था. ताकि इन राज्यों का विकास हो सके. 45 साल बाद छत्तीसगढ़ और झारखण्ड अलग किये गए.
33. शिक्षक देश की रीढ़ की हड्डी है इसलिए उन्हें ज्यादा वेतन तनख्वाह मिले ये भी उन्हीने कहा था.
34. देश में कोयले की बिजली नहीं चलेगी उसके बदले सौरऊर्जा का इस्तेमाल करके जल विद्युत प्रकल्प खड़े करने को कहा था.
35. उनके बेटे ने भ्रष्टाचार किया तो खुद के पेपर में खुद के बेटे पे निंदा टिपणी करके भ्रष्टाचार विरोधी होने का सबूत दिया.
36. लड़कियों का गर्भपात न करे ये बताने वाले भी वही थे.
37. किताबों के लिए स्पेशल घर बांधने वाले भी वही थे.
38. देश को उपराजधानी चाहिए ये बताने वाले भी वही थे.
39. मुझे कायदे मंत्री नहीं बनाना मुझे कृषि मंत्री बनके किसानों को न्याय मिलाके देना है. किसानो का राज्य लाना है ये कहने वाले भी वही थे.
40. कोकण में खोती का आंदोलन करने वाले भी वही थे.
41. तिलक के बेटे ने आत्महत्या की थी. उस समय भविष्य में कोई आत्महत्या न करे इस्पे भावपूर्ण स्वर में लेख लिख के श्रंद्धांजलि देने वाले भी वाही थे.
42. तीन लष्करी प्रमुख कभी एक साथ न मिले ये लोकशाही के लिए घातक है ये बताने वाले भी वही थे.
43. वो एकमात्र ऐसे भारतीय थे जिन्हे गोलमेज परिषद में आने के लिए विशेष आमंत्रण दिया जाता.
वो एक मात्र नेता है जिन्होंने
44. लड़कियों के हक़ के लिए उनके सम्मान के लिए अपने मंत्र पद से इस्तीफा दिया था.
45. दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला अमेरिका देश भी उनके लिखित अर्थशास्त्र पर चलता है.
वो एक अच्छे व्होलीयोन वादक भी थे. एक शिल्पकार, चित्रकार भी थे ये बात तो बहुत से लोगों को भी पता नहीं.
46. उन्हें टोटल आठ भाषाए आती थी. हिंदी, अंग्रेजी, मराठी, संस्कृत, गुजरती, पारसी, जर्मन, फ्रेंच. इसके आलावा उन्होंने पाली व्याकरण और शब्दकोष भी लिखी थी.
47. उन्होंने संसद में पेश किए हुए विधेयक महार वेतन बिल, हिन्दू कोड बिल, जनप्रतिनिधि बिल, खोती बिल, मंत्रीओं का वेतन बिल, मजदूरों के लिए वेतन (सैलरी) बिल, रोजगार विनिमय सेवा, पेंशन बिल , भविष्य निर्वाह निधी (पी.एफ्.). इनके अलावा मानवी अधिकारों के लिए कई सत्याग्रह किये. उसके साथ ही कई सामाजिक संघटन भी स्थापित किये, उन्हें प्राप्त सम्मान
1) भारतरत्न
2) The Greatest Man in the World (Columbia
University)
3) The Universe Maker (Oxford University)
4) The Greatest Indian (CNN IBN & History Tv,
Jaibhim Dear friends
बाबासाहब अंबेडकर आठ भाषाएँ जानते थे।
1) मराठी (मातृभाषा)
2) हिन्दी
3) संस्कृत
4) गुजराती
5) अंग्रेज़ी
6) पारसी
7) जर्मन
8) फ्रेंच
डाॅ.बाबासाहब अंबेडकर जी को पाली भाषा
भी आती थी। उन्होंने
पाली व्याकरण और शब्दकोष (डिक्शनरी)
भी लिखी थी जो महाराष्ट्र
सरकार ने Dr.Babasaheb Ambedkar Writing and
Speeches Vol.16 में प्रकाशित की हैं।
*** बाबासाहब अंबेडकर जी ने संसद में पेश किए हुए
विधेयक
महार वेतन बिल
हिन्दू कोड बिल
जनप्रतिनिधि बिल
खोती बिल
मंत्रीओं का वेतन बिल
मजदूरों के लिए वेतन (सैलरी) बिल
रोजगार विनिमय सेवा
पेंशन बिल
भविष्य निर्वाह निधी (पी.एफ्.)
*** बाबासाहब के सत्याग्रह (आंदोलन)
1) महाड आंदोलन 20/3/1927
2) मोहाली (धुले) आंदोलन 12/2/1939
3) अंबादेवी मंदिर आंदोलन 26/7/1927
4) पुणे कौन्सिल आंदोलन 4/6/1946
5) पर्वती आंदोलन 22/9/1929
6) नागपूर आंदोलन 3/9/1946
7) कालाराम मंदिर आंदोलन 2/3/1930
8) लखनौ आंदोलन 2/3/1947
9) मुखेडका आंदोलन 23/9/1931
*** बाबासाहब अंबेडकर द्वारा स्थापित सामाजिक संघटन
1) बहिष्कृत हितकारिणी सभा - 20 जुलै 1924
2) समता सैनिक दल - 3 मार्च 1927
राजनीतिक संघटन
1) स्वतंत्र मजदूर पार्टी - 16 अगस्त 1936
2) शेड्युल्ड कास्ट फेडरेशन- 19 जुलै 1942
3) रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया- 3 अक्तूबर 1957
धार्मिक संघटन
1) भारतीय बौद्ध महासभा - 4 मई 1955
शैक्षणिक संघटन
1) डिप्रेस क्लास एज्युकेशन सोसायटी- 14 जून
1928
2) पीपल्स एज्युकेशन सोसायटी- 8 जुलै
1945
3) सिद्धार्थ काॅलेज, मुंबई- 20 जून 1946
4) मिलींद काॅलेज, औरंगाबाद- 1 जून 1950
अखबार, पत्रिकाएँ
1) मूकनायक- 31 जनवरी 1920
2) बहिष्कृत भारत- 3 अप्रैल 1927
3) समता- 29 जून 1928
4) जनता- 24 नवंबर 1930
5) प्रबुद्ध भारत- 4 फरवरी 1956
*** बाबासाहब अंबेडकर जी ने अपने जिवन में विभिन्न
विषयों पर 527 से ज्यादा भाषण दिए।
***बाबासाहब अंबेडकर को प्राप्त सम्मान
1) भारतरत्न
2) The Greatest Man in the World (Columbia
University)
3) The Universe Maker (Oxford University)
4) The Greatest Indian (CNN IBN & History Tv
18)
*** बाबासाहब अंबेडकर जी इनकी
निजी किताबें (उनके पास थी)
1) अंग्रेजी साहित्य- 1300 किताबें
2) राजनिती- 3,000 किताबें
3) युद्धशास्त्र- 300 किताबें
4) अर्थशास्त्र- 1100 किताबें
5) इतिहास- 2,600 किताबें
6) धर्म- 2000 किताबें
7) कानून- 5,000 किताबें
8) संस्कृत- 200 किताबें
9) मराठी- 800 किताबें
10) हिन्दी- 500 किताबें
11) तत्वज्ञान (फिलाॅसाफी)- 600 किताबें
12) रिपोर्ट- 1,000
13) संदर्भ साहित्य (रेफरेंस बुक्स)- 400 किताबें
14) पत्र और भाषण- 600
15) जिवनीयाँ (बायोग्राफी)- 1200
16) एनसाक्लोपिडिया ऑफ ब्रिटेनिका- 1 से 29 खंड
17) एनसाक्लोपिडिया ऑफ सोशल सायंस- 1 से 15 खंड
18) कैथाॅलिक एनसाक्लोपिडिया- 1 से 12 खंड
19) एनसाक्लोपिडिया ऑफ एज्युकेशन
20) हिस्टोरियन्स् हिस्ट्री ऑफ दि वर्ल्ड- 1 से 25
खंड
21) दिल्ली में रखी गई किताबें- बुद्ध
धम्म, पालि साहित्य, मराठी साहित्य- 2000 किताबें
22) बाकी विषयों की 2305 किताबें
बाबासाहब जब अमेरिका से भारत लौट आए तब एक बोट दुर्घटना में
उनकी सैंकडो किताबें समंदर मे डूबी।
*** बाबासाहब अंबेडकर जी
1) महान समाजशास्त्री
2) महान अर्थशास्त्री
3) संविधान शिल्पी
4) आधुनिक भारत के मसिहा
5) इतिहास के ज्ञाता और रचियाता
6) मानवंशशास्त्र के ज्ञाता
7) तत्वज्ञानी (फिलाॅसाॅफर)
8) दलितों के और महिला अधिकारों के मसिहा
9) कानून के ज्ञाता (कानून के विशेषज्ञ)
10) मानवाधिकार के संरक्षक
11) महान लेखक
12) पत्रकार
13) संशोधक
14) पाली साहित्य के महान अभ्यासक
(अध्ययनकर्ता)
15) बौध्द साहित्य के अध्ययनकर्ता
16) भारत के पहले कानून मंत्री
17) मजदूरों के मसिहा
18) महान राजनितीज्ञ
19) विज्ञानवादी सोच के समर्थक
20) संस्कृत और हिन्दू साहित्य के गहन अध्ययनकर्ता थे।
उनके कुछ खास पहलु ,
1) पाणी के लिए आंदोलन करनेवाले विश्व के पहले महापुरु)
2. लंदन विश्वविद्यालय के पुरे लाईब्ररी के किताबों की छानबीन कर उसकी जानकारी रखनेवाले एकमात्र महामानव,
3) लंदन विश्वविद्यालय के 200 छात्रों में नअबर 1 का छात्र होने का सम्मान प्राप्त होनेवाले पहले भारतीय,
4) विश्व के छह विद्वानों में से एक,
5) विश्व में सबसे अधिक पुतले बाबासाहब अंबेडकर जी के हैं।,
6) लंदन विश्वविद्यालय मे डी.एस्.सी. यह उपाधी पानेवाले पहले और आखिरी भारतीय,
7) लंदन विश्वविद्यालय का 8 साल का पाठ्यक्रम 3 सालों मे पूरा करनेवाले महामानव
उनके बारे में दुनिया क्या कहती है ये भी देख ले.
dr. अम्बेडकर के बारे मे दुनिया के विचार
1. अमेरिका के प्रेसिडेंट बराक ओबामा कहते है, अगर "वो" हमारे देश में जन्मे होते तो हम उन्हें सूर्य कहकेर बुलाते.
2. पाकिस्तान में एक ही भारतीय की जयंती मनाई जाती है और वो है बाबा साहेब dr अम्बेडकर
3. नेल्सन मंडेला कहते है भारत के पास से सिर्फ एक ही चीज लेने लायक है और वो है भारत का संविधान
4. वे एकमेव भारतीय है जिनके दुनियाभर में सबसे ज्यादा पुतले है.
भारत के हर इक शहर में उनका पुतला है.
नोट:- जिस किसी भी पाठक को लगता हैं की जो बाते बाबा साहेब dr.अम्बेडकर के काम या उनकी Qualification ke बारे म कुछ भी गलत लिखा हैं तो वो पाठक कृपा करके कोई भी इतिहास की किताब पढ़ सकते है य फिर internet पर चैक कर सकते हैं
धन्यवाद...
Monday, 12 April 2021
काला टीका
जहां के बुरी नजर वालों का एक नायाब हल निकाला है मेरी मां ने।
सारी बलाएं हरने काला टीका, काला धागा डाला है मेरी मां ने।।
Friday, 9 April 2021
व्यक्तित्व विकास
व्यक्तित्व का अर्थ और परिभाषा
शिक्षा मनोविज्ञान : व्यक्तित्व
‘व्यक्तित्व‘ अंग्रेजी के पर्सनेल्टी (Personality) का पर्याय है। पर्सनेल्टी शब्द की उत्पत्ति यूनानी भाषा के ‘पर्सोना‘शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है ‘मुखोटा (Mask)’। उस समय व्यक्तित्व का तात्पर्य बाह्य गुणों से लगाया जाता था। यह धारणा व्यक्तित्व के पूर्ण अर्थ की व्याख्या नही करती। व्यक्तित्व की कुछ आधुनिक परिभाषाएँ दृष्टव्य है :
1. गिलफोर्ड : व्यक्तित्व गुणों का समन्वित रूप है।
2. वुडवर्थ : व्यक्तित के व्यवहार की एक समग्र विशेषता ही व्यक्तित्व है।
3. मार्टन : व्यक्तित्व व्यक्ति के जन्मजात तथा अर्जित स्वभाव, मूल प्रवृत्तियों, भावनाओं तथा इच्छाओं आदि का समुदाय है।
4. बिग एवं हंट : व्यक्तित्व व्यवहार प्रवृत्तियों का एक समग्र रूप है, जो व्यक्तित के सामाजिक समायोजन में अभिव्यक्त होता है।
5. ऑलपोर्ट (Imp) : व्यक्तित्व का सम्बन्ध मनुष्य की उन शारीरिक तथा आन्तरिक वृत्तियों से है, जिनके आधार पर व्यक्ति अपने वातावरण के साथ समायोजन स्थापित करता है।
इस प्रकार हम निष्कर्ष रूप में कह सकते है, कि व्यक्तित्व एक व्यक्ति के समस्त मानसिक एवं शारीरिक गुणों का ऐसा गतिशील संगठन है, जो वातावरण के साथ उस व्यक्ति का समायोजन निर्धारित करता है।
व्यक्तित्व के प्रमुख सिद्धान्त इस प्रकार है–
1. मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त : इस सिद्धान्त का प्रतिपादन फ्रायड ने किया था। उनके अनुसार व्यक्तित्व के तीन अंग है-
(i). इदम् (Id)
(ii). अहम् (Ego)
(iii). परम अहम् (Super Ego)
ये तीनो घटक सुसंगठित कार्य करते है, तो व्यक्ति ‘समायोजित‘ कहा जाता है। इनसे संघर्ष की स्थिति होने पर व्यक्ति असमायोजित हो जाता है।
(i). इदम् (Id) : यह जन्मजात प्रकृति है। इसमें वासनाएँ और दमित इच्छाएँ होती है। यह तत्काल सुख व संतुष्टि पाना चाहता है। यह पूर्णतः अचेतन में कार्य करता है। यह ‘पाश्विकता काप्रतीक‘ है।
(ii). अहम् (Ego) : यह सामाजिक मान्यताओं व परम्पराओं के अनुरूप कार्य करने की प्रेरणा देता है। यह संस्कार, आदर्श, त्याग और बलिदान के लिए तैयार करता है। यह ‘देवत्व काप्रतीक‘ है।
(iii). परम अहम् (Super Ego) : यह इदम् और परम अहम् के बीच संघर्ष में मध्यस्थता करते हुए इन्हे जीवन की वास्तविकता से जोड़ता है अहम् मानवता का प्रतीक है, जिसका सम्बन्ध वास्तविक जगत से है। जिसमे अहम् दृढ़ व क्रियाशील होता है, वह व्यक्ति समायोजन में सफल रहता है। इस प्रकार व्यक्तित्व इन तीनों घटकों के मध्य‘समायोजन का परिणाम‘ है।
शरीर रचना सिद्धान्त
शरीर रचना सिद्धान्त : इस सिद्धान्त के प्रवर्तक शैल्डन थे। इन्होंने शारीरिक गठन व शरीर रचना के आधार पर व्यक्तित्व की व्याख्या करने का प्रयास किया। यह शरीर रचना व व्यक्तित्व के गुणों के बीच घनिष्ठ संबंध मानते हैं। इन्होंने शारीरिक गठन के आधार पर व्यक्तियों को तीन भागों- गोलाकृति, आयताकृति, और लंबाकृति में विभक्त किया। गोलाकृति वाले प्रायः भोजन प्रिय, आराम पसंद, शौकीन मिजाज, परंपरावादी, सहनशील, सामाजिक तथा हँसमुख प्रकृति के होते हैं। आयताकृति वाले प्रायः रोमांचप्रिय, प्रभुत्ववादी, जोशीले, उद्देश्य केंद्रित तथा क्रोधी प्रकृति के होते हैं। लम्बाकृति वाले प्रायः गुमसुम, एकांतप्रिय अल्पनिद्रा वाले, एकाकी, जल्दी थक जाने वाले तथा निष्ठुर प्रकृति के होते हैं।
विशेषक सिद्धान्त
. विशेषक सिद्धान्त : इस सिद्धान्त का प्रतिपादन कैटल ने किया था। उसने कारक विश्लेषण नाम की सांख्यिकीय प्रविधि का उपयोग करके व्यक्तित्व को अभिव्यक्त करने वाले कुछ सामान्य गुण खोजे, जिन्हें ‘व्यक्तित्व विशेषक‘नाम दिया। इसके कुछ कारक है- धनात्मक चरित्र, संवेगात्मक स्थिरता, सामाजिकता, बृद्धि आदि।
कैटल के अनुसार व्यक्तित्व वह विशेषता है, जिसके आधार पर विशेष परिस्थिति में व्यक्तित के व्यवहार का अनुमान लगाया जाता है। व्यक्तित्व विशेषक मानसिक रचनाएँ है। इन्हे व्यक्ति के व्यवहार प्रक्रिया की निरंतरता व नियमितता के द्वारा जाना जा सकता है।
माँग सिद्धान्त
माँग सिद्धान्त : इस सिद्धांत के प्रतिपादक हेनरी मुझे मानते हैं कि मानव एक प्रेरित जीव है जो अपने अंतर्निहित आवश्यकताओं तथा दबावों के कारण जीवन में उत्पन्न तनाव को कम करने का निरंतर प्रयास करता रहता है। वातावरण व्यक्ति के अंदर कुछ माँगो को उत्पन्न करता है। यह माँगे ही व्यक्ति के द्वारा किए जाने वाले व्यवहार को निर्धारित करती है। मुरे ने व्यक्तित्व माँग की 40 माँगे ज्ञात की।
शिक्षा मनोविज्ञान : व्यक्तित्व के प्रकार
1. कैचमर का शरीर रचना पर आधारित वर्गीकरण :
(i). शक्तिहीन (एस्थेनिक)
(ii). खिलाड़ी (एथलेटिक)
(iii). नाटा (पिकनिक)।
2. कपिल मुनि का स्वभाव पर आधारित वर्गीकरण :
(i). सत्व प्रधान व्यक्ति
(ii). राजस प्रधान व्यक्ति
(iii). तमस प्रधान व्यक्ति।
3. थार्नडाइक का चिंतन पर आधारित वर्गीकरण :
(i). सूक्ष्म विचारक
(ii). प्रत्यक्ष विचारक
(iii). स्थूल विचारक।
4. स्प्रेंगर का समाज सम्बंधित वर्गीकरण :
(i). वैचारिक
(ii). आर्थिक
(iii). सौंदर्यात्मक
(iv). राजनैतिक
(v). धार्मिक
(vi). सामाजिक।
5. जुंग द्वारा किया गया मनोवैज्ञानिक वर्गीकरण :
वर्तमान में जुंग का वर्गीकरण सर्वोत्तम माना जाता है। इन्होंने मनोवैज्ञानिक लक्षणों के आधार पर व्यक्तित्व के तीन भेद माने जाते है-
(i). अन्तर्मुखी–अंतर्मुखी झेंपने वाले, आदर्शवादी और संकोची स्वभाव वाले होते है। इसी स्वभाव के कारण वे अपने विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने में असफल रहते है। ये बोलना और मिलना कम पसंद करते है। पढ़ने में अधिक रूचि लेते है। इनकी कार्य क्षमता भी अधिक होती है।
(ii). बहिर्मुखी–बहिर्मुखी व्यक्ति भौतिक और सामाजिक कार्यो में विशेष रूचि लेते है। ये मेलजोल बढ़ाने वाले और वाचाल होते हैं। ये अपने विचारों और भावनाओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त कर सकते हैं। इनमे आत्मविश्वास चरम सीमा पर होता है और बाह्य सामंजस्य के प्रति सचेत रहते है।
(iii). उभयमुखी–इस प्रकार के व्यक्ति कुछ परिस्थितियों में बहिर्मुखी तथा कुछ में अंतर्मुखी होते है। जैसे एक व्यक्ति अच्छा बोलने वाला और लिखने वाला है, किन्तु एकांत में कार्य करना चाहता है।
शिक्षा मनोविज्ञान : व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले कारक
1. वंशानुक्रम का प्रभाव : व्यक्तित्व के विकास पर वंशानुक्रम का प्रभाव सर्वाधिक और अनिवार्यतः पड़ता है। स्किनर व हैरिमैन का मत है कि- “मनुष्य का व्यक्तित्व स्वाभाविक विकास का परिणाम नहीं है। उसे अपने माता-पिता से कुछ निश्चित शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक और व्यावसायिक शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।”
2. सामाजिक वातावरण का प्रभाव : बालक जन्म के समय मानव-पशु होता है। उसमें सामाजिक वातावरण के सम्पर्क से परिवर्तन होता है। वह भाष, रहन-सहन का ढंग, खान-पान का तरीका, व्यवहार, धार्मिक व नैतिक विचार आदि समाज से प्राप्त करता है। समाज उसके व्यक्तित्व का निर्माण करता है। अतः बालकों को आदर्श नागरिक बनाने का उत्तरदायित्व समाज का होता है।
3. परिवार का प्रभाव : व्यक्तित्व के निर्माण का कार्य परिवार में आरम्भ होता है, जो समाज द्वारा पूरा किया जाता है। परिवार में प्रेम, सुरक्षा और स्वतंत्रता के वातावरण से बालक में साहस, स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता आदि गुणों का विकास होता है। कठोर व्यवहार से वह कायर और असत्यभाषी बन जाता है।
4. सांस्कृतिक वातावरण का प्रभाव : समाज व्यक्ति का निर्माण करता है, तो संस्कृति उसके स्वरुप को निश्चित करती है। मनुष्य जिस संस्कृति में जन्म लेता है, उसी के अनुरूप उसका व्यक्तित्व होता है।
5. विद्यालय का प्रभाव : पाठ्यक्रम, अनुशासन , खेलकूद, शिक्षक का व्यवहार, सहपाठी आदि का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाव व्यक्तित्व के विकास पर पडता है। विद्यालय में प्रतिकूल वातावरण मिलने पर बालक कुंठित और विकृत हो जाता है।
6. संवेगात्मक विकास : अनुकूल वातावरण में रहकर बालक संवेगों पर नियंत्रण रखना सीखता है। संवेगात्मक असंतुलन की स्थिति में बालक का व्यक्तित्व कुंठित हो जाता है। इसलिए वांछित व्यक्तित्व के लिए संवेगात्मक स्थिरता को पहली प्राथमिकता दी जाती है।
7. मानसिक योग्यता व रूचि का प्रभाव : व्यक्ति की जिस क्षेत्र में रूचि होती है, वह उसी में सफलता पा सकता है और सफलता के अनुपात में ही व्यक्तित्व का विकास होता है। अधिक मानसिक योग्यता वाला बालक सहज ही अपने व्यवहारों को समाज के आदर्शों के अनुकूल बना देता है।
8. शारीरिक प्रभाव : अन्तः स्त्रावी ग्रंथियाँ, नलिका विहीन ग्रंथियाँ, शारीरिक रसायन, शारीरिक रचना आदि व्यक्तित्व को प्रभावित करते है। शारीर की दैहिक दशा, मस्तिष्क के कार्य पर प्रभाव डालने के कारण व्यक्ति के व्यवहार और व्यक्तित्व को प्रभावित करती है। इनके अलावा बालक की मित्र-मण्डली और पड़ोस भी उसके व्यक्तित्व को प्रभावित करते है।
मैं भी इंसां हूं
भूख, प्यास, और तड़प
सब कुछ है तेरी तरह
आंसू भी तो हैं ठंडे-गर्म
मैं भी इंसां हूं तेरी तरह।
Friday, 2 April 2021
Thursday, 1 April 2021
द्व्यप्रेलकृता:
रक्षितुमधिकारान्न:
द्व्यप्रेलकृता: मृता: ।
ये चिंतिता: न प्राणान्नु
वीरान्नुमोsस्तु तान् बलान्।।
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