Wednesday, 22 January 2025

 क्या खोज रहे हो?

बाबर!
अरे!!!!!!!!!
बाबर कहीं नहीं गया,
घुस गया है गांव गलियों में,
और जातंकियों की रगों में।
निकल पड़ता है,
जब-जब निकलती है बिंदोली,
किसकी?
अरे!
उसी की,
जिसे दला है दशदशदशकों उसने।
क्यों?
क्यों क्या!
उबल पड़ता है,
देखता है शानदार
दाड़ी मूंछ कपड़े और परख-पूंछ।
देखता है प्रतिनिधित्व उनका,
जिनको कर रखा सदियों सत्ता से।
किसलिए?
किसलिए क्या!
सोच बैठता है,
'अब तेरा क्या होगा? बाबरे!'
तब?
तब क्या!
समझना होगा,
क्या?
क्या क्या!
यह कि
उस बाबर का किला कहाँ है?
अब क्या खाता-पीता है?
क्या ओढ़ता-पहनता है?
बन्द करनी होगी सप्लाई,
ढहाना होगा किला।
उड़ाना होगा उस तोते को,
जिसमें बसती जान उसकी।
अहं का तोता उड़ते ही,
बाबर की खबर न रहेगी,
बस और क्या चाहिए रामहेत को?
भारत की सुख-शान्ति के सिवाय।

Wednesday, 8 January 2025

सियाशरन

मंजुलतान्वितः पुत्रः भगौनीगोमती
संघमित्रापिता
सिद्ध 
अविनाश