Saturday, 2 March 2019

विकास

सुबह-सुबह सैर पर निकला ही था कि आसमान से एक बूँद पड़ी माथे पर मोटी सी, देखा तो आसमान में मेघ था। मानो कुछ कहना चाहता हो। सोचा गर बरसेगा तो छुप जाऊँगा किसी पेड़ के नीचे और चल पड़ा। रास्ते में एक मशीन मिली जो धरा के सीने में छेद करके खम्भा गाड़ देती है। खैर आगे बड़ा ही था कि कैम्पस के द्वार पर विश्वविद्यालय में आता विकास की आहट दिखी ।

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