Thursday, 21 April 2022

वेद वाक्य

रथीरन्तरीयते साधदिष्टिभि:। ऋ 3.3.6
इंद्रियों, वासनाओं और इच्छाओं को वश में रखने वाले साधकों द्वारा ईश्वर अंत:करण में जाना जाता है।

सेदग्निर्यो वनुष्यतो निपाति। ऋ. सं. 7.1.15 अग्नि अर्थात् नेता वही है जो हिंसक से बचाता है।
कृतं चिदेनो नमसा विवासे। ऋ. सं. 6.51.8 मैं किये हुए पाप को दंड से दूर करने में समर्थ हूँ।
अपि पन्थामगन्महि स्वस्तिगामनेहसम्। ऋ 6.51. 16  हम सुख से जाने योग्य और निष्पाप मार्ग पर चलें।
मा काकम्बीरमृद् वृहो वनस्पतिम्। ऋ.सं- 6.48.17 हे पुरुष तू काकादि नाना पक्षियों के भरण-पोषण करने वाले वटादि वृक्षों को मत काट।
पर्षि तोकं तनयं पर्तृभिष्ट्वमदब्धैरप्रयुत्वभिः। अग्ने हेळांसि दैव्या युयोधि नोsदेवानि ह्ररांसि च। । ऋ.सं. 6.48.10 हे अग्नि तुम अपने एकत्रित एवं हिंसारहित रक्षासाधनों द्वारा हमारे पुत्र-पौत्रों का पालन करो। देवों का क्रोध हमारे पास से हटाओ एवं हमारी मानवबाधा दूर करो।। 
रक्षोत नस्तन्वो अप्रयुच्छन्।। ऋ.सं. 10.04.07 हे वैद्य तू प्रमाद रहित होकर हमारे शरीरों की रक्षा करो।

Sunday, 3 April 2022

आरक्षण होना चाहिए

जी सत्य वचन
जाति आधारित आरक्षण समाप्त होना ही चाहिए जो सदियों से चला आ रहा है।
अभी की घटना है यामिनी साहू को भागवत कथा करने पर आरक्षित लोग गालियां देकर वेद विरुद्ध आचरण के दुराचरण को दुहरा रहे हैं।
राजस्थान में मूंछ रखने के आरक्षितों ने युवक की हत्या कर के देश को तथा सर्वं खल्विदं ब्रह्म' महावाक्य को झूंठ सावित करने की कोशिश की है।
ऐसे संगच्छध्वं संवदध्वं संवो मनांसि जानतां वेद वाक्य के ही नहीं वेद के हत्यारों के लिए सुनिश्चित मानवता विरोधी सदियों से चले आ रहे आरक्षण को समाप्त करना ही होगा तभी देश बचेगा। इस आरक्षण ने देश को खोखला कर गुलाम बनाया था।