Wednesday, 6 July 2022

जातंकवाद

 जातंकवाद

जातंकवाद शब्द का क्या अर्थ है?

उत्तर - जातंकवाद शब्द का अर्थ है जाति के आधार पर फैला आतंकवाद।

यह भारत में सदियों से व्याप्त है। देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है।

राष्ट्र की रक्षा के लिए जातंकवाद को दूर करना ही एक मात्र उपाय है।

यह शब्द जात और आतंकवाद दो शब्दों के मेल से बना है।
इसका अर्थ है कि जात अर्थात् जाति के आधार पर फलता फूलता आतंकवाद।
जो लोग जातीय रूप से हिंसक होते हैं। संसाधनों पर पीढ़ी दर पीढ़ी इनका कब्जा बना हुआ है। संसाधन हीन लोगों को अपनी बराबरी में नहीं देख सकते। सम्मान व समृद्धि में बराबरी करने की सोचने पर ही दंडित करना इन जातीय आतंकवादियों को स्वाभिमान का कार्य लगता है।
अपने ही आस-पास के आर्थिक व सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों को पनपने नहींं देते।
इन लोगों को समय पर मजदूरी नहीं देते।
इनके खेल-खलिहानों पर कब्जा कर लेते हैं।
इनके मुहुल्लों में जाकर अपने भय से आतंकित करते रहते हैं।
दलित इनके यहां कम मजदूरी में काम करने से मना कर देने पर पूरे परिवार को मारते पीटतेें ताकि आसपास के दलित आतंकित रहें और इनके यहां काम करने से मना न कर सकें।
ये जातंकवादी इन दलितों की बहू बेटियों को कभी भी छेड़ देते हैं। ये लोग उन्हें अपने आतंक से रिपोर्ट लिखाने थाने तक नहीं जाने देते।
अगर थाने चले भी जाते हैं तो डराधमका कर केस बापस लेने के लिये दबाव बनाते हैं।
थाने में पैसा अथवा राजनैतिक प्रभाव के बल पर बच निकलते हैं। और पुनः पीड़ित परिवार को आतंकित करते है।
जब दलित के घर बच्चा पैदा होता है तो उसका नाम सम्मानजनक हो तो सहन नहीं कर पाने के कारण ये जातंकवादी उसका नाम विगाड़कर बुलाना शुरु कर देते हैं। जैसे किसी का नाम गब्बर सिंह है तो उसे गबरू कहकर बुलायेंगे। किसी लड़की का नाम मानकुँअर है तो उसे मनकुज्जा कह कर बुलायेंगे।

यदि कोई दलित बालक स्कूल में जाने लगता है। तो उसे रास्ते में परेशान करते हैं। लड़कियाँ सुरक्षा कारणों से सीघ्र ही शाला त्याग कर देती हैं।
कोई दलिय युवा मूँछ रख ले तो उसे आतंकित करते हैं।
अगर कोई दलित स्वाभिमान की जिंदगी जीना आरम्भ कर देता है तो उसके साथ ये जातंकवारी लूट-खसोट करने से नहीं चूकते।

दलितों को आरक्षण का लाभ उठाकर सम्मान, सुरक्षा , समृद्धि के साथ शिक्षित जीवन जीता देखकर आरक्षण का विरोध करने के लिए जातंकवारी पूरी दमखम लगा देते हैं।

मुगलों से लड़ी वीरांगना,
अंग्रेजों से लड़ी वीरांगना।
जातंकियों की न बनी अंगना,
अंगार बन गई, न अंगना।
फूल थी शूल जो बन गई,
फूलन को शतवार वंदना।rg

दीन की बेटी
मसल दी गई
फूल-सी।
समेटा दामन
उठी शूल-सी।
जातंकवाद से
हिसाब बसूल की।
पली-बढ़ी वो
बीच बबूलन थी।
अब फूल नहीं
वो फूलन थी।

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