Saturday, 19 August 2023

हिन्दी हाईकू रामहेत

रे रे पत्थर हाईकू

रे रे पत्थर!
तूं भी तो घिसेगा रे!
मगर धीरे।

मैं पानी हूं रे!
घुसूंगा तुझमें भी,
मगर धीरे।

फिर वहेगी,
एक नदी मरु में,
मगर धीरे।

तेरी बटरीं,
मैं नदी हो बहेंगे,
मगर धीरे।

तूं मीनार में,
मैं सागर में होंगे,
बदल धीरे!
डॉक्टर रामहेत गौतम, सहायक प्राध्यापक, संस्कृत विभाग, डॉक्टर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर म.प्र.।


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