Wednesday, 31 January 2024

IQ


EQ= IQ+SQ+PQ
EQ-(Entrepreneur Quotient) 
IQ-(Intelligent Quotient)
SQ-(Social Quotient)
PQ-(Passion Quotient)

डिजिटल दुनिया की ओर बढ़ती दुनिया में कहा जा रहा है कि कौशल की परिभाषा भी बदल जाएगी….पर कुछ कौशल शाश्वत है। सब कुछ का तकनीकीकरण हो सकता है पर मानव कौशल को बिल्कुल तकनीकी कर पाना संभव नही है…इसलिए बौद्धिक कौशल कितना ही क्यों न हो पर सामाजिक कौशल और भावनात्मक कौशल के बिना सफलता सार्थक हो ही नही सकती…


PQ - Physical Quotient
IQ - Intellectual Quotient
EQ - Emotional Quotient
SQ - Spritual Quotient

There are only 4Qs in human personality development

ये ही शाश्वत हैं, सनांतन हैं, ये ही वर्ण व्यवस्था के क्रमशः शुद्र, वैश्य, क्षत्रिय और ब्राह्मण कहे जाते हैं

लकीर पीटना

कब तक पीटेंगे यूं ही लकीर हम

Wednesday, 24 January 2024

विश्वास का धागा

हम दोनों के बीच जो विश्वास का बंध है
उस पर अठखेलियाँ कर रहा है रिश्ता।
जैसे करतब दिखाता है नट जानकार
दो खम्भों से बंधा विश्वस्त रस्सा पुख़्ता। rg

Tuesday, 23 January 2024

संवरा तो सिर्फ शोषक

न केवट सँवरा,
न सबरी सँवरी,
न जटायु सवरा,
न सुग्रीव संवरा,
संवरा तो सिर्फ 
शोषक सबरा।

Monday, 22 January 2024

तुम्हारे मंत्र और हमारे हाथ।

एक लोमड़ी 
जो नहीं जानती 
अनाज उगाना, 
जूते गांठना,
कपड़े बुनना,
ईंट जुटाना,
आँगन बुहारना 
और बहुत कुछ।
पर जानती है बातें बनाना 
और बातों के बतासे बनाना। 

अपसरा 
सोम 
ऐश्वर्य से भरा हुआ स्वर्ग।
जो मिलेगा मरने के बाद। 

यही एक ऐसी फसल है 
जिसे काटने के चक्कर में
इस लोक के सारे संसाधन 
लोमड़ी के हो जाते हैं,
और इस लोक के लोग 
हो जाते हैं अछूत, पापी शूद्र।
 
डॉ. रामहेत गौतम

तुम्हारे मंत्र एक दाना भी उगा सकते हैं क्या?
हां हमारे हाथ पका कर भी खिला सकते हैं।

तुम्हारे मंत्र एक रेशा भी बना सकते हैं क्या?
हां हमारे हाथ सबका बदन भी ढक सकते हैं।

तुम्हारे मंत्र एक कंकण भी जमा सकते हैं क्या?
हां हमारे हाथ पूरा नगर भी बसा सकते हैं।

तुम्हारे मंत्र एक तिनका भी उठा सकते हैं क्या?
हां हमारे हाथ पूरा नगर भी साफ कर सकते हैं।

तुम्हारे मंत्र एक रैय्या भी खोद सकते हैं क्या?
हां हमारे हाथ कुआँ-तालाब भी खोद सकते हैं।

तुम्हारे मंत्र एक काढ़ा भी बना सकते हैं क्या?
हां हमारे हाथ पूरा औषधालय जमा सकते हैं।

नहीं कर सकते ये सब तो बन्द करो भेद करना
तुम श्रेष्ठ नहीं हो, हो हम में से ही एक, कहो ना।

कब तक ढोओगे यूं ही ये मर चुकी सामन्तशाही 
समाज को तोड़ना बंद कर दो, मिल के रहो ना।।




संस्कृत जनभाषा रामायण काल में भी नहीं रही।

संस्कृत सामन्तों की दरबारी भाषा रही

 मिथक है कि रावण पराक्रमी होने के साथ ही ब्राह्मण था, विद्वान था और संस्कृत मंत्रों का धाराप्रवाह पाठ करता था; मगर यह भी सच है कि उसने छलपूर्वक सीता का अपहरण किया और आतंक एवं मनुहार की मिली-जुली शैली से उन्हें अपनी पटरानी बनाने की कोशिश की। 

संस्कृत प्राचीन काल में प्रभुवर्ग की भाषा थी। 

आदिकवि वाल्मीकि-जिन्हें जयशंकर प्रसाद ने 'कामायनी' में 'प्रथम कवि' की सुन्दर संज्ञा दी है-स्वयं संस्कृत के महाकवि हैं; लेकिन संस्कृत का प्रयोग करने वाले प्रभुवर्ग के चरित्र के प्रति पैनी निगाह रखते हैं। 

इसका सबूत यह प्रसंग है कि जब हनुमान अशोक वाटिका में सीता को देखते हैं, तो सोचते हैं कि मैं अगर लोकभाषा के बजाय द्विजों अथवा सवर्णों की तरह सु-संस्कृत जनों की भाषा, यानी संस्कृत में इनसे बात करूँगा, तो माँ सीता डर जाएँगी, उन्हें लगेगा कि रावण आ गया है : 

"यदि वाचं प्रदास्यामि द्विजातिरिव संस्कृताम्।
 रावणं मान्यमानां मां सीता भीता भविष्यति।।"

तब वह निर्णय करते हैं कि 'मुझे अवश्य ही सार्थक जन-भाषा में संवाद करना चाहिए, अन्यथा मेरे द्वारा अनिन्द्य सीता जी को सान्त्वना दिया जाना संभव न होगा' :

"अवश्यमेव वक्तव्यं मानुषं वाक्यमर्थवत्।
मया सान्त्वयितुं शक्या नान्यथेयमनिन्दिता।।"

इतने अनूठे और अमूल्य ये श्लोक हैं कि एक महाकवि की रचना में ही व्यक्त हो सकते थे। 

इसका आशय यह भी है कि जो लोग कथित तौर पर सभ्य, सुसंस्कृत, शिष्ट, विद्वान, अभिजात या कुलीन, सत्ता-सम्पन्न और राजपुरुष हैं, वे निपट साधारण जन-समाज की बनिस्बत अन्याय और हिंसा में कहीं अधिक सक्षम हैं; क्योंकि उन्हें अपने आचरण को शालीनता के परदे में छिपाए रखने की कला आती है। 

तुलसीदास ने 'रामचरितमानस' के आरम्भ में स्वीकार किया है कि उन्होंने 'वाल्मीकि रामायण' को भी अपने महाकाव्य का आधार बनाया; लेकिन संस्कृत में श्रेष्ठ रचना में समर्थ होने के बावजूद वह कविता के लिए एक लोकभाषा अवधी का चुनाव करते हैं। 

इस संभावना से इनकार करना कठिन है कि आदिकवि वाल्मीकि के हनुमान का यह विचार उन्हें प्रासंगिक लगा होगा कि शिष्ट भाषा में संवाद करने पर माँ सीता डर जाएँगी, उन्हें लगेगा कि रावण कुछ कह रहा है!

रामपंडितो रामचन्दो वा

रामपंडितो हन्ति न

Sunday, 7 January 2024

जन्मदिने

☸️☸️☸️ 
सदा गुरुवरं वन्दे,
बुद्धस्य पथगामिनं।
शुभं जन्मदिनं भूयात्
जनवर्यष्टमे दिने।।
🌼🌼🌼
🙏🙏🙏

☸️☸️☸️ 
सदा गुरुवरं वन्दे,
बुद्धस्य पथगामिनं।
मंगलमस्तु सर्वेषां,
त्रिबुद्धपूर्णिमादिने।।
🌼🌼🌼
🙏🙏🙏