एक लोमड़ी
जो नहीं जानती
अनाज उगाना,
जूते गांठना,
कपड़े बुनना,
ईंट जुटाना,
आँगन बुहारना
और बहुत कुछ।
पर जानती है बातें बनाना
और बातों के बतासे बनाना।
अपसरा
सोम
ऐश्वर्य से भरा हुआ स्वर्ग।
जो मिलेगा मरने के बाद।
यही एक ऐसी फसल है
जिसे काटने के चक्कर में
इस लोक के सारे संसाधन
लोमड़ी के हो जाते हैं,
और इस लोक के लोग
हो जाते हैं अछूत, पापी शूद्र।
डॉ. रामहेत गौतम
हां हमारे हाथ पका कर भी खिला सकते हैं।
तुम्हारे मंत्र एक रेशा भी बना सकते हैं क्या?
हां हमारे हाथ सबका बदन भी ढक सकते हैं।
तुम्हारे मंत्र एक कंकण भी जमा सकते हैं क्या?
हां हमारे हाथ पूरा नगर भी बसा सकते हैं।
तुम्हारे मंत्र एक तिनका भी उठा सकते हैं क्या?
हां हमारे हाथ पूरा नगर भी साफ कर सकते हैं।
तुम्हारे मंत्र एक रैय्या भी खोद सकते हैं क्या?
हां हमारे हाथ कुआँ-तालाब भी खोद सकते हैं।
तुम्हारे मंत्र एक काढ़ा भी बना सकते हैं क्या?
हां हमारे हाथ पूरा औषधालय जमा सकते हैं।
नहीं कर सकते ये सब तो बन्द करो भेद करना
तुम श्रेष्ठ नहीं हो, हो हम में से ही एक, कहो ना।
कब तक ढोओगे यूं ही ये मर चुकी सामन्तशाही
समाज को तोड़ना बंद कर दो, मिल के रहो ना।।
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