जाता हुआ दिसम्बर समेट रहा है अम्बर, संबरकर उतरेगी आसमां से नव लालिमा बदल जायेगा दिन, महीना और साल भी, कामना है कि ओढ़ लो तुम सुख लालिमा।
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