प्रशंसा से पिघलना क्या?
आलोचना से उबलना क्या?
नि:स्वार्थ से विचलना क्या?
धरा धरी रहेगी, भूलना क्या?
Wednesday, 26 June 2019
प्रशंसा से पिघलना क्या
Tuesday, 25 June 2019
भारत दादा की जय
खुल के लोग कहते, पाकिस्तान का बाप है भारत,
तो जोर-जोर से क्यों न बोलें, भारत पिता की जय।
खुल के लोग कहते, बांग्लादेश का दादा है भारत,
तो जोर-जोर से क्यों न बोलें, भारत दादा की जय।
खुल के लोग कहते, सुख-दुख की गोद है भारत,
तो जोर-जोर से क्यों न बोलें भारत माता की जय।
Sunday, 23 June 2019
सांड बने समस्या
।।भारत की समस्या।।
भारत- एक किसान
नारद- एक पत्रकार
नारायण- एक शासक
एक दिन भारत बहुत परेशान था, उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे?
नारद- (सत्ताधीश के गुणगान करते हुए) नारायण- नारायण, क्या हुआ बन्धुवर? बड़े परेशान दिख रहे हो।
भारत- क्या करूँ भैया! बहुत बड़ी उलझन भरी समस्या में फसा हूँ ।
नारद- क्या समस्या है? बन्धुवर!
भारत- क्या बताऊँ एक ओर धर्म संकट है तो दूसरी ओर अस्तित्व का संकट ।
नारद- वो कैसे?
भारत- मेरे पास सौ पशुधन है । तीन सांड, कुछ बछड़े, कुछ गायें और कुछ खेत में जोतने के लिए बैल हैं।
नारद- तुम तो बड़े धनवान हो। इतना गौ-धन जो है तुम्हारे पास। फिर परेशानी की क्या वजह है?
भारत- बात ये है कि बैल इतने कमज़ोर हो गए हैं कि ठीक से फसल ही नहीं हो पा रही। गायें भी इतनी कमज़ोर हो गयी हैं कि बच्चे व बछड़े ही भूखे रहने के कारण कुपोषित तथा बीमार रहते हैं। अतः नये बैल मजबूत होंगे यह सम्भावना भी नहीं है। आगे परिवार कैसे पलेगा? मुनिवर!
नारद- चलो मौके का मुआयना करें, तभी समस्या का समाधान निकल पायेगा।
भारत- ठीक है चलिए।
दोनों पशुशाला जाते हैं ।
पशुशाला पहुंच कर-
नारद- हे भारत! दिखाओ तो क्या और कैसा प्रबन्ध किया है तुमने।
भारत- ये एक खुला हुआ बाड़ा है, सारे गौवंश यही पर खुले रहते हैं।
नारद- ये तीनों सांड तो बहुत मोटे-ताज़े हैं फिर ये गाय-बैल व बछड़े क्यों सूख रहे हैं। क्या इन्हें खाने-पीने के लिए नहीं देते क्या?
भारत- चारे की कमी नहीं है। सभी स्वतंत्र होते हैं खाने के लिए और चारा खुले में रख दिया जाता है।
नारद- फिर क्या कारण है कि ये दुर्बल ही हैं? कारण तो अवश्य होगा क्योंकि बिना कारण के कोई कार्य नहीं होता ।
(नारद कुछ देर तक सोच-विचार करता है)
नारद- अच्छा भाई भारत! एक बार मेरे सामने ही सबको चारा खिलाओ।
(भारत खुले में इकट्ठा चारा डाल कर सारे गौवंश को खुला छोड़ देता है।)
तभी मोटे-ताज़े तीन सांड आते हैं और गाय, बैल व बछड़ों को सींग मारकर भगा देते हैं। तीनों खाते तो हैं ही अखाड़े कर गोवर करके वहीं बैठ जाते हैं और कोई पास भटकता तो मार-मार के लहू-लुहान कर देते। अवशिष्ट रह जाने इधर-उधर बैठ जाते। तब जाकर शेष की जुगत लग पाती।
नारद- क्या ऐसे ही चारा डाल कर छोड़ देते हो।
भारत- हाँ पर जब भी समय मिलता है तो डण्डे से इन सांडों को खा लेने के बाद एक ओर खदेड़ कर शेष को खिला दिया करता हूँ फिर ये बैल गायों व बछड़ों को भी नहीं खाने देते।
नारद- हाँ अब सारी समस्या समझ में आ गयी। अब एक काम करो।
भारत- क्या?
नारद- इन तीनों सांडो, बैलों, गायों और बछड़ों को अलग-अलग बांधकर चारा खिलाओगे तो सबको पर्याप्त चारा मिलेगा सभी स्वस्थ रहेंगे।
भारत- ठीक है।
नारद- नारायण-नारायण शब्दों के साथ सत्ताधीश के गुणगान करता हुआ चला जाता है।
भारत यही तरीका अपनाता है । सभी को अलग-अलग खिला कर एक साथ छोड़ देता है। कुछ समय बाद सभी तंदुरुस्त हो जाते हैं। बैल खेत जोतने में पीछे नहीं रहते, गायें पुनः पर्याप्त दूध देने लगतीं हैं, बछड़े समय-समय पर बैल बनते रहते, सांडो का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है। भारत पुनः खुशहाल हो जाता है।
डाॅ रामहेत गौतम सहायक प्राध्यापक, संस्कृत विभाग, डाॅ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर मप्र ।
Saturday, 15 June 2019
Article 15
भारतीय संविधान अनुच्छेद 15 (Article 15 in Hindi) - धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध
विवरण
(1) राज्य, किसी नागरिक के विरुद्ध के केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा।
(2) कोई नागरिक केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर--
(क) दुकानों, सार्वजनिक भोजनालयों, होटलों और सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों में प्रवेश, या
(ख) पूर्णतः या भागतः राज्य-निधि से पोषित या साधारण जनता के प्रयोग के लिए समर्पित कुओं, तालाबों, स्नानघाटों, सड़कों और सार्वजनिक समागम के स्थानों के उपयोग,
के संबंध में किसी भी निर्योषयता, दायित्व, निर्बन्धन या शर्त के अधीन नहीं होगा।
(3) इस अनुच्छेद की कोई बात राज्य को स्त्रियों और बालकों के लिए कोई विशेष उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी।
[(4) इस अनुच्छेद की या अनुच्छेद 29 के खंड (2) की कोई बात राज्य को सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े हुए नागरिकों के किन्हीं वर्गों की उन्नति के लिए या अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए कोई विशेष उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी।]
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संविधान (पहला संशोधन) अधिनियम, 1951 की धारा 2 द्वारा जोड़ा गय
Friday, 7 June 2019
जय भीम क्या है?
बरेली ज़ोन के ADG प्रेम प्रकाश द्वारा लोगों के अभिवादन में ‘जय भीम’ बोलने को लेकर वहाँ के कुछ स्थानीय विधायकों ने उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के यहाँ शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस महकमे में आईपीएस प्रेम प्रकाश की गिनती काफ़ी ईमानदार और तेज़ तर्रार अफ़सरों में होती है। सोशल मीडिया में जय भीम बोलने पर विवाद के वायरल होते ही कई संगठन और समाजसेवी आईपीएस के पक्ष में आ खड़े हुए हैं। जय भीम बोलने के पक्ष में पुलिस महकमे के ही एक रिटायर्ड अधिकारी व समाजसेवी देवी सिंह अशोक बहुत ही सरल शब्दों में बिंदुवार समझाते हुए लिखते हैं कि,
जय भीम क्या है?
1.जय भीम कोई चुनाव या राजनेतिक नारा नही है ।न ही किसी व्यक्ति,समूह या क्षेत्र का एकाधिकार है
2. जय भीम प्रण है कि हम संविधान की रक्षा करेंगे।
3.जय भीम एक अपील है शिक्षित बनो,संगठित बनो,संघर्ष करो की ।
4.जय भीम एक वादा है पे बैक टू सोसायटी का ।
5.जय भीम एक वादा है भारत की एकता के लिये मर मिटने का।
6.जय भीम एक क्रान्ति है असमानता, लिंग भेद, अंधविश्वास के खिलाफ ।
7.जय भीम एक भावना है निर्भीकता की।
8.जय भीम एक परंपरा है स्वतंत्रता, समानता,बंधुता,न्याय और धर्मनिरपेक्षता की।
9.जय भीम एक उत्तरदान है बुद्ध,अशोक,कबीर,ज्योतिबा,सावित्रीबाई और बाबासाहब के विचारों का।
10.जय भीम एक योजना है व्यक्ति,परिवार,समाज,देश और दुनिया मे लोकतंत्र,नैतिकता,विज्ञान,शान्ति और विकास के लिए ।
नोट:जय भीम का विरोध ही जय भीम की आवश्यकता को दर्शाता है।