Saturday, 1 June 2019

एकाकी

सागर के सामने पानी की हर बूँद तुच्छ होती है,
लेकिन बूँद ही है जो सागर को आकार देती है|
अपनत्व विहीन न सागर की शान न बूँद की सत्ता.
मिल के रहो मेरे दोस्त सिर्फ यही सत्य की सत्ता||

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