Tuesday, 16 June 2020

माया

माया तू मोहिनी
जगदानन्द दायिनी
ब्रह्म की तू शक्ति है
ईश्वर की साधिका
जब तक न देखूँ तुझे
तो जीवन अंधकार में।
तुम जो घूँघट उठा दो
तो तड़प से मुक्ति मिले।
न अब तू बिलम्ब कर
रहस्य को अनावृत कर।
माया तू मोहिनी
जगदानन्द दायिनी।

लम्हे में मिट जाये जन्मों का सफर।
गर माया मुख दर्श करा दे अपना।



Saturday, 13 June 2020

Tuesday, 9 June 2020

श्रवणाभरण छन्द

विरल - च्छन्दः – लक्षण-रचना
श्रवणाभरणम् (विकृतिः)

लक्षण - नरसजकारलगं मुनिषड्रसवेदयति श्रवणाभरणम् ॥
(सुज्ञानकुमारमाहान्तिरचितलक्षणं)

अर्थ – विकृतिः जाति के इस श्रवणाभरण वृत्त के प्रत्येक चरण में 23 अक्षर होते हैं जिस में क्रमशः, एक नगण, 6 जगण (रसजकार), एक लघु एवं एक गुरु के साथ सप्तम (मुनि), षष्ठ (षड्), षष्ठ (रस) एवं चतुर्थ (वेद) अक्षरों में यतिपात होते हैं । 

{इस छन्द का प्रसिद्ध उदाहरण महिषासुरमर्दिनी स्तोत्र है । पिङ्गल के छन्दःसूत्र, वृत्तरत्नाकर, छन्दोमञ्जरी आदि ग्रन्थ में इस का लक्षण अनुपलब्ध होने से उपर्युक्त प्रकार से इस के प्रयोक्ताओं के लाभार्थ निरूपित हम ने किया है – सुज्ञानकुमारमाहान्ति }

अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ।
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥

Monday, 8 June 2020

प्रेमी पंछी


प्रेम के पंछी
आँखों का चार होना
उषेश साक्षी।

प्रेम के पंछी
फिर मिलने का वादा
संध्या है साक्षी।

घर न पात
आगे काली रात
पागल प्रेमी।

तुम साथ हो
आगे काली रात हो
जीत जायेंगे।

तू भी जा खग!
रात रोशन होगी
प्रेममणि से।