प्रेम के पंछी आँखों का चार होना उषेश साक्षी।
प्रेम के पंछी फिर मिलने का वादा संध्या है साक्षी।
घर न पात आगे काली रात पागल प्रेमी।
तुम साथ हो आगे काली रात हो जीत जायेंगे।
तू भी जा खग! रात रोशन होगी प्रेममणि से।
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