Friday, 23 September 2022

स्वीकार्यता कहां से लाओगे

चोटी रखी जा सकती है,
जनेऊ पहना जा सकता है,
कपड़े खरीदे जा सकते हैं,
तिलक जगाया जा सकता है,
नाम भी लिख सकते हैं,
स्वरूप में सब कर सकते हैं,
पर स्वीकार्यता कहां से लाओगे?
उसके बिना मारे जा सकते हो,
घर जलाया जा सकता है,
बहू बेटियों की इज्जत लूटी जा सकती है,
और तो और तुम शीर्ष पर नहीं आ सकते,
शीर्ष धर्म का हो या राजधर्म का या फिर समाज का।
तुम अपने प्रति पुण्य का लालच और 
पाप का भय पैदा नहीं कर सकते।
यह तो मोटे मोटे ग्रन्थ लिख कर किया जा सकता है,
दुर्बोध मंत्र सुना कर किया जा सकता है।
ऐसा तुम कर नहीं सकते क्योंकि तुम्हें काम करना है।
कमेरों के पास समय कहां है ये सब करने के लिए। 
काम नहीं करेंगे तो खायेंगे क्या? पहनेंगे क्या?
चढ़ाबा लेने का जन्मजात अधिकार तुम्हारे लिए नहीं उनके लिए है।
ये अधिकार उन ग्रन्थों में ही लिखा है जिन्हें छाती से लगाये घूमते हो।
उनको जिनके पुरखों ने लिखा तो यह अधिकार उनके लिए लिखा।
तुम सिर्फ डरो आप्त अवज्ञा से।
तुम सिर्फ भीड़ हो, भिड़ो उनके लिए भेड़ों की तरह।
बरेदी मत बनो।
बरेदी एक ही है।
उसकी अभिलाषा है-
तुम सिर्फ चलते रहो, चलते रहो, चलते रहो 
पीछे-पीछे पीछे-पीछे पीछे-पीछे

Thursday, 22 September 2022

हिन्दी मातृभाषा

हिन्दी मातृभाषा
सपने में भी बोलता हूं।
संस्कृत शास्त्रभाषा
शास्त्रों में बोलता हूं।
अंग्रेजी विश्वभाषा
मंचों पर बोलता हूं।
पालि बुद्धभाषा
बोध में घोलता हूं।
हर दिवस मेरा हिन्दी,
हर दिवस मेरा संस्कृत है
हर दिवस मेरा अंग्रेजी,
हर दिवस मेरा बुद्धपालि है।
न कोई भाषा वहिष्कृत
हर दिवस मेरा परिष्कृत है।
हमारा कोई द्वेषी नहीं 
वसुधैव कुटुंबकम् उद्घोष है।

अरे ओ जातीय श्रेष्ठ

अरे ओ जातीय श्रेष्ठ!
कितनी खोखली है तेरी श्रेष्ठता?
इतनी कि कोई खड़ा भी हो 
तो तुम्हारी चूलें हिल जाती हैं।
और तुम बौखला जाते हो।
और लगते कुचलने किसी के स्वाभिमान को
ताकि केवल तुम्हारा ही स्वाभिमान ज़िन्दा रहे,
और तुम खड़े रहो निर्लज्ज ठूंठ की तरह।

यह जाति ब्रह्मजाल का वो तन्तु है
जिसे वह सीने से लगाके ढोता हैं।
केन्द्र में बैक के सोता है सृष्टिकर्ता,
कई के शोषण से वो पोषण पाता है।

Wednesday, 21 September 2022

कुछ अभावों को चीर कर लड़े किसको पता है?

किलों से कूदकर लड़े राजा-रानी सबको पता है,
कुछ अभावों को चीर कर लड़े किसको पता है?
लेखनी से गद्दारी कर गये जातंकी इतिहासकार, 
कुछ पक्षपाती अधूरी बात बोले किसको पता है। rg