Thursday, 22 September 2022

हिन्दी मातृभाषा

हिन्दी मातृभाषा
सपने में भी बोलता हूं।
संस्कृत शास्त्रभाषा
शास्त्रों में बोलता हूं।
अंग्रेजी विश्वभाषा
मंचों पर बोलता हूं।
पालि बुद्धभाषा
बोध में घोलता हूं।
हर दिवस मेरा हिन्दी,
हर दिवस मेरा संस्कृत है
हर दिवस मेरा अंग्रेजी,
हर दिवस मेरा बुद्धपालि है।
न कोई भाषा वहिष्कृत
हर दिवस मेरा परिष्कृत है।
हमारा कोई द्वेषी नहीं 
वसुधैव कुटुंबकम् उद्घोष है।

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