Saturday, 4 February 2023

जगत के ठगिया

जगत के ठगिया वेई हैं निकरे,
हम तो लग्घर समझ रए। 
का रक्खौ है जा माया मोह में, 
ऐसी वे हमसें कअत रए।
सई तौ कए रए ऐसी सोच कैं, 
हम देत रए वे लेत रए।
आज उनकें हैं अटा हमएं टटा, 
वे स्वामी हम दास भए। 
अब वे ढंग सें बोलत नौं नैंया,
न चितावें हम रोउत रएं। 
बूझे! मीठीं-मीठीं ठगिआ कीं,
अब न सुन हैं कउत रएं। 
कान खोल कैं सुन लो ठग जू!,
हम ताल ठोक कए रए।
जित्तौ जो दैहौ उत्तौ ओई लैहौ,
मुफत में तो दैवे सें रए।
पैसा, संग, इज्जत सब मिल है,
इतै भी तो चानें कए रए। 
जो तुम करौ ताखों विसार दै हैं, 
अब वो बंद करो कए रए। 
नैंतर तुमई तुम जानो हमई हम,
तुमईं बातन में आबे सें रए।

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