Wednesday, 21 August 2024

रोटी-वेटी का वक्त

घोड़ी से उतारा न कभी मूंछ पर मारा,
न खेत छीने कभी न वो बस्ती जलाया।
न नये कपड़े हैं फाड़े न फसल है लूटी,
जब मौका पड़ा तो हाथ ही है बड़ाया।
न पढ़ने से रोका, न ही बड़ने से रोका,
फिर भी भाई ने क्यों दोषी है ठहराया?
कुछ तो कसर रह गई विचार कीजिए,
रोटी-बेटी वेहार का वक्त है जो आया।

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