श्रमिक गया
खाली भवन अब
दरक उठा।
श्रम से खाते
विश्राम कब पाते?
श्रमण होते।
श्रम का मान
सुख-समृद्धि खान
है सच्चा ज्ञान।
रोटी बनाना
आसान काम नहीं
चूल्हा-चौका भी।
सूखी डार पै
बैठौ अकेलौ कागा
संजा सूनी है।
शिक्षा की देवी
सावित्री बाई फुले
नारी गौरव।
No comments:
Post a Comment