Sunday, 31 May 2020

श्रमिक

श्रमिक गया
खाली भवन अब
दरक उठा।

श्रम से खाते
विश्राम कब पाते?
श्रमण होते।

श्रम का मान
सुख-समृद्धि खान
है सच्चा ज्ञान।

रोटी बनाना
आसान काम नहीं
चूल्हा-चौका भी।

सूखी डार पै
बैठौ अकेलौ कागा
संजा सूनी है।

शिक्षा की देवी
सावित्री बाई फुले
नारी गौरव।

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