TATHAGAT
Monday, 21 June 2021
पिता
पीठ की सवारी
हाथी पर भारी,
कंधे पर चढ़ना
किले पर चढ़ना,
बाहों में झूलना
हिंडोले में झूलना,
अंगुली पकड़ना
छत लेके चलना,
कदमों का चलना
सपनों का चलना,
होता है जिसका
वो कोई और नहीं।
तुम ही हो पिता
RG
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