Monday, 28 November 2022

भेड़िये पाल रहे हैं नेता जी।

वोट की फ़सल रखाने को
भेड़िये पाल रहे हैं नेता जी।

वेटी की बोटी नौंचते भेड़िए
टुकुर-टुकुर देखते नेता जी।

घर में अकेली रह न सके है,
खेत पै भी आ धमकता जी।

यात्रा करे तो भी मारी जाती,
वो विद्यालय में घेर लेता जी।

कहते हो संस्कार दो बेटी को
पहनावे पै उंगली उठाता जी।

बालिका शिशु भी नोंचे जाते
अब तो हद हो चुकी है नेता जी।

बेटी बचायें-बेटी पढ़ायें कैसे?
हाय! यह पिता पूछे नेता जी।

Sunday, 27 November 2022

पूना पैक्ट कविता

भूखा वैठा था एक सन्त 
पूना की यरबदा जेल में,
जला रहे थे भक्त वस्तियां 
दलितों की जातंकी देश में।

दोहरा मताधिकार नहीं था
प्रतिनिधित्व मिला था देश में।
न जाने किस कारण किसी को 
किसी का हक् मिलना खला था।

Saturday, 26 November 2022

अंधविश्वास, अंधपरंपरा

आसाम में ब्राह्मण गाय खाते हैं-
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वीडियो- में 3.10 minutes पर 

Tuesday, 22 November 2022

हकदारी

रे रे आतंक!
इंकार करते हैं तेरे क्षत्र में जीने से।
जहन्नुम या नर्क भेजने की धमकी, 
या सर कलम करने का आतंक
ही दे सकते हो। 
समता, बन्धुत्व, सबको सम्मान 
दे पाना तुम्हारे वश की बात नहीं।

हक की बात करने वालों को
डराकर राष्ट्रनिर्माण नहीं होता।
राष्ट्रनिर्माण के लिए तो हमेशा
हकदारी देनी होती है सबको,
भीम की तरह, गौर की तरह।