Monday, 28 November 2022

भेड़िये पाल रहे हैं नेता जी।

वोट की फ़सल रखाने को
भेड़िये पाल रहे हैं नेता जी।

वेटी की बोटी नौंचते भेड़िए
टुकुर-टुकुर देखते नेता जी।

घर में अकेली रह न सके है,
खेत पै भी आ धमकता जी।

यात्रा करे तो भी मारी जाती,
वो विद्यालय में घेर लेता जी।

कहते हो संस्कार दो बेटी को
पहनावे पै उंगली उठाता जी।

बालिका शिशु भी नोंचे जाते
अब तो हद हो चुकी है नेता जी।

बेटी बचायें-बेटी पढ़ायें कैसे?
हाय! यह पिता पूछे नेता जी।

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