Tuesday, 22 November 2022

हकदारी

रे रे आतंक!
इंकार करते हैं तेरे क्षत्र में जीने से।
जहन्नुम या नर्क भेजने की धमकी, 
या सर कलम करने का आतंक
ही दे सकते हो। 
समता, बन्धुत्व, सबको सम्मान 
दे पाना तुम्हारे वश की बात नहीं।

हक की बात करने वालों को
डराकर राष्ट्रनिर्माण नहीं होता।
राष्ट्रनिर्माण के लिए तो हमेशा
हकदारी देनी होती है सबको,
भीम की तरह, गौर की तरह। 

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