TATHAGAT
Saturday, 25 March 2023
जंबूद्वीप पिस रहा
एक आंगन जाल से है भरा,
किसी को खोटा किसी को खरा।
किसी को जान के हैं लाले,
किसी ने सात पुश्तों को भरा।।
कोई तो जाल कुतरता है,
कोई दिन व रात सींच रहा।
जंबुद्वीप जा जाल में गौतम!
सदियों से यूँ हि पिसता रहा।।
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