राजा को खबर लगी कि जनता में इतनी नाराजगी है कि जनता सड़कों पर उतर सकती है।
पूरे प्रशासनिक अमले में खलबली मच गई कि अब इतना बजट भी नहीं है कि छोटा सा काम भी किया जा सके।
तभी एक चतुर मंत्री बोला कि महाराज महाराज आप जूते पहनकर मंदिर के सामने से गुजर जाईए शेष मुझ पर छोड़ दीजिए।
राजा ने ऐसा ही किया।
मंत्री के एक गुप्तचर ने जनता के बीच जाकर इसे मुद्दा बनाने में मदद की।
जनता सड़कों पर आ गई जो कि उसे आना ही था।
खूब झड़पें हुईं।
जब लगने लगा कि विद्रोह पूरे उफान पर है।
अब राजा से उस चतुर मंत्री ने कहा कि अब आप खेद प्रकट कर दो।
उधर कुछ कारिंदों को जनता के बीच से उनका प्रतिनिधि मंडल के रूप में बुला कर माफी की खबर फैलवा दी।
जनता की विजय हुई।
अब जनता अपनी विजय की खुशी मनाने में मग्न हो गई।
राजा का विद्रोह का संकट टल गया।
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