Tuesday, 23 July 2019

रक्तपा

हजार मुखौटे रखता है हत्यारा
दयालु का, कृपालु का, देव का, दानव का
बहलाता है फुसलाता है फसाता है।
अनेक जाल हैं इसके पास
माया का, पुण्य का, पाप का, स्वर्ग का, नर्क का,
हजार हथियार हैं इसके पास
दान का, शाप का, वहिष्कार का, तिरस्कार का।
हत्या कर देता है विरोधी के चरित्र की, मान की ।
पीता है रक्त पिस्सू की तरह
जी रहा है ठाठ से ।

No comments:

Post a Comment