बृद्ध अतीत, तो युवा भविष्य चाहता है वर्तमान से संतुष्टि पाते नहीं हैं ये दोनों वर्तमान ही तो दोनों को संजोये हुए है। हर समय प्रवृत्ति का काल है वर्तमान सुधार व निर्माण का काल है वर्तमान।
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