संवत्सर में व्यवहार कहाँ अब
बजट भी अब अप्रेल-मार्च में
हिन्दी में बोलें जब किसान तो
तब अफसर अंग्रेजी झाड़त हैं
बच्चा मजदूर का पड़े हिन्दी में
बच्चे धनिक अंग्रेजी गाबत हैं।
किसान बीमार पड़े जब-जब
डाॅक्टर अंग्रेजी में बताबत है
कोई भी रहे जरूरत जब-जब
आवेदन भी अंग्रेजी में भराबत
फंसे मामला जब गरीब का
निर्णय भी अंग्रेजी में आबत है
प्रवचन की तक फीस लेते हैं
हमें त्याग की वो बात बताबत
सम्मान-सुरक्षा-समृद्धि चाहें
तुम काहे न हमरे साथ आबत
हमारी भी इज्ज़त करो, न हरो
स्वाभिमान से रहना चाहें हम
सारे संस्कार संस्कृति सीखेंगे
व्यवहार में लाकर बात करो।
डाॅ रामहेत गौतम सहायक प्राध्यापक, संस्कृत विभाग, डाॅ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय,सागर मप्र।
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