निर्वाण के बाद व्यक्तित्व का सर्वथा लोप हो जाता है
राजा मिलिन्द बोला , “ भन्ते (भिक्खु नागसेन) ! क्या बुद्ध सचमुच हुए हैं ? "
" हां महाराज ! हुए हैं । "
" भन्ते ! क्या आप दिखा सकते हैं वे कहां हैं ? "
" महाराज ! भगवान परम परिनिर्वाण को प्राप्त हो गए हैं , जिसके बाद उनके व्यक्तित्व को बनाए रखने के लिए कुछ भी नहीं रह जाता । इसलिए वे अब दिखाए नहीं जा सकते । "
" कृपया उपमा देकर समझायें । "
" महाराज ! क्या जलती हुई आग की लपट जो होकर बुझ गई , दिखाई जा सकती है - यह यहाँ है?"
" नहीं भन्ते ! वह लपट तो बुझ गई । "
" महाराज ! इसी तरह , भगवान परम परिनिर्वाण को प्राप्त हो गए हैं , जिनके बाद उनके व्यक्तित्व को बनाये रखने के लिए कुछ भी नहीं रह जाता । इसलिए वे अब दिखाए नहीं जा सकते ।
" हां , वे अपने धर्म रूपी शरीर से दिखाए जा सकते हैं । उनका बताया धर्म ही उनके विषय में बता रहा है । " भन्ते ! आपने ठीक कहा। "
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