Wednesday, 8 July 2020

किसान

किसान

ले हल हाथ
सृष्टा खेत में जात
सृष्टि रचने।    1


पत्थर तोड़े

फूंक दिए प्राण

धरागर्भ में।    2


लगा सींचने

बूंद-बूंद पसीना

निज जीवन।    3


झांकता तन

दरकता वदन

चिंतित मन।    4


प्राण खेत में

ध्यान आसमान में

रुकती सांसे।    5



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