TATHAGAT
Friday, 21 February 2025
कवि का कलेजा
कवि पर कलेजा तो होत है रे भैया!
फौलाद होकर भी मौम हो जात है।
आतंक की क्या मजाल कि कँपा सके,
इंसानियत की खातिर पिघल जात है।rg
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