Monday, 3 March 2025

नेहरूचरितम्

त।        भ।        ज।      र।   ग
SSI    SII.      ISI.     SIS S
वाग्देवता दलित-दुर्बल-बुद्धि-दोषा,
शब्दार्थ-भाव-रस-रीति-विधान-दक्षा।
हृत्तन्त्रि-ताडन-परायण-पूत-पाणि-
स्तोषाय नो भवतु मञ्जुल-भाव-वेशा।। 

वाग् देवता, जिसके होने मात्र से ही 
हो जाते हैं दलित, दुर्बल बुद्धि दोष सभी।
चर्चित देवता, जिसके शासन में ही
उदय को पाते दलित, दुर्बल, बुद्धि अभी।

शब्दार्थ भाव, रस, रीति विधान दक्ष है जो,
हृद् तन्त्रि ताडन परायण पवित्र पाणि वो।
प्रथम सरसवती वाणी हृदयाह्लाद देती जो,
दूसर नेह रुदित कवि हृदय यारी हारी वो।।

संतोष के लिए पधारे, है मंजुल भाव वेश जो,
अकाल भागे बुद्धि उदर अन्न का, अब मुक्ति हो।
प्रथम आवे सदा मन क्लेश मुक्त कर देती जो,
रामहेत लेत नेह रुदित जन मन मोद देत हो।।



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