Friday, 14 July 2023

संवेदनहीन साहित्य

चाबुक खाते रहे बहुजन बैल बनकर और भरे पेट सांड़ जुगाली करते रहे। उसी जुगाली से एकत्रित फसूकर का ढेर है यह संवेदनहीन साहित्य।

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