Sunday, 30 July 2023

मेरी यात्रा



गौरी गू को चबोरो

गेंदा में मछली

मछली पकडना 

टिहरी के अंडे

अदवान से बांधते पाँव

घर की लड़ाई

ओंड़े की आग

गुरु महाराज

खरा कौ गोस

सुआटा का खेल

रतन के नेत्र में धूल

घुटीमार

गोबर उगाना

घूरे से कागज बीनता पढता

लोखन रोटी खा गया

लोखन की चिट्ठी

कौशल का गोता

पीतम ने डुबाया

कौशल्या चढ़ गई 

नई घड़ी 

प्रेस पर उंगली 

बड़ी बाई की बाखर

हरिओम का टिरौआ

सौंज की बकरी

पहलवान को पैसा

फटी पेंट की अभिलाषा

नीबू के पेड़ पर तोते का पिंजरा

डंडा पै बैठके चले मम्मा कें

शैल की चोरी

शराब की गंध

घड़ी की खुशी

बांगर में बस्ता

मूंमफली के पौधे

कुँआ पर ओले पड़ना

रहट के पनारे पर नहाना और घिसना

नींव में नहाना

कक्को नहीं चाची नामकरण

दादा के अंतिम समय

भूत दिखना

सूखी 

सगुन की आंख में फुली

हरकुँअर - घूरे पर फिरत रत और बटोर लियात कागज। 

एक कंधे की तरफ गर्दन झुकाकर खड़ा हो जाता है। 

पर मन में चल रहा होता है- कि क्या लिखा है इन कागजों पर।

बीड़ी के बंडल के काजल पर क्या लिखा है

पिता दीवार पर बिन्दी क्यों लगाते हैं

चटकनी बजाते बच्चे।

करेछ का कुरेदना

घूरे के कागज

गुब्बारे

कटीला के बीज सरसों में मिलाना।

दो रुपये का नोट

मोनीटर की परीक्षा

सुरेन्द्र की फट्टी

बोरी का बस्ता

नाम लिखा सहायक वाचन की किताब

गमलों में मछली बांधना

मास्साब के बेर दातुन

बर्ती ढड़काने का खेल

किताबों की चोरी

5 की परीक्षा

6वीं में प्रवेश

सुरेन्द्र की साईकिल

लल्ला के मुंडा

भट्टा की ईंटें

हैंडिल पर बोतल

नाथूराम चौबे जी

लक्ष्मीनारायण तिवारी जी

पटेरिया जी की पिटाई

हरीसिंह का साथ

देवेन्द्र सर का ट्यूशन

देवेन्द्र सर की कुट्टी

एनसीसी की बर्दी

तू पुलिस हम डकैत

झगड़ा 

रुपए ऐंठता दरोगा

वकील के चक्कर 

पटवारी के चक्कर 

साईकिल और भूसे के बोरे

अंग्रेजी का ट्यूशन

सक्सेना सर जी के गमले

अंग्रेजी की किताब

चिट से रटना

ट्यूशन

मजदूरी और पढ़ाई

खेती और पढ़ाई

लल्ला की मालिस और टीव्ही का सौक

बूढ़ी बाई की पौर

गुरु महाराज के वचन

बाग में बैठकर पढ़ना

सगाई ्और चिट्ठी

विवाह 

लक्ष्मी खेत में और मैं कॉलेज

कॉलेज की फोटो और लक्ष्मी

शिवम टाकीज 

गुरु जी के काम और लोगों की बातें

टोपर क्या होता है।

कॉलेज की प्रतियोगिताएं

मेरे नोट्स और प्रोफेसर 

नौकरी का आवेदन और नौकरी

आलमपुर के अनुभव

गुप्ता जी के ताने बीजमंत्र

स्नेही बखान 

प्राचार्य और मैं और मेरी पढ़ाई

पीएचडी रजिस्ट्रेशन

परीक्षाओं में ड्यूटी और विवाद

कॉलेज के दायित्व और अध्ययन

भाईयों की शिक्षा और परिवार

पहलीबार गया दतिया

पहलीबार गया ग्वालियर 


जब पीमार पड़ा तो डॉक्टर के पास ले जाया गया। 


घोड़ों को घास नहीं वाली बात

संस्कृत विभाग में अपने कक्ष में लगाई जब तस्वीर 

एक शुभचिंतक ने सलाह दी।
सर अंबेडकर जी की तस्वीर सामने क्यों लगाए हैं?
उनका चिंता स्वाभाविक थी, उन्हें पता था कि इससे संस्कृत वे मनीषी नाराज हो सकते हैं, इनका प्रमोशन, उच्च पद पर सिलेक्शन रुक सकता है।
पर मेरा विश्वास है कि अम्बेडकरवादी अंबेडकर के आदर्शों पर चलकर भी निडर व यथार्थ स्वीकार के साथ जी सकता है। प्रमोशन, सिलेक्शन गौड हैं।
तस्वीर यथावत है, सबकी स्वीकार्यता भी कम न होकर बड़ी है, क्योंकि सहयोग व समर्पण वैचारिक विरोधियों को भी अपना बना देता है। इसके बिपरीत समान विचारक भी गैर हो सकते हैं।
इससे सिद्ध हुआ आप जो हैं खुल कर जिओ, आपको नकारा नहीं जा सकता। नकार तो दोहरे चरित्र के कारण होता है।


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