Sunday, 27 October 2024

धर्म

तेरा धर्म तूं धर, जा बेइज्जत न कर।
धर्म है कि धंधा है, जा आ मुँ धोकर।।
अगर करना ही है, एका की बात कर। 
हक देने-लेने में रे, प्रतीक न देखा कर।।
हो सके तो कर रे, साथ दे साथ लेकर। 
साथ खा साथ खिला, रहेंगे एक होकर।।


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