Monday, 21 October 2024

नदी

प्यासी नदी है अ पमान की, 
और तुम्हें पड़ी है गान की।
फंसी सांस लाश पुजानहि, 
जा को परी है जान की।।rg22-10-24
अ - यह
पमान- प्रमाण 
जा को - इसको

विनति अविनत करि नदी,
पूजो मत मम काकर ही।
उपकार एकठो करि सकी
मम धार मझधार करि दी।।rg22-10-24

विनत- टेड़ी बहती हुई
अविनत करि- सीधे खड़े किनारे वाली 
पूजो- मत पुजाओ, डालो
मम काकर- मम(शृद्धा वाला) काकर(कंकरीट,कचरा)

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