और तुम्हें पड़ी है गान की।
फंसी सांस लाश पुजानहि,
जा को परी है जान की।।rg22-10-24
अ - यह
पमान- प्रमाण
जा को - इसको
विनति अविनत करि नदी,
पूजो मत मम काकर ही।
उपकार एकठो करि सकी
मम धार मझधार करि दी।।rg22-10-24
विनत- टेड़ी बहती हुई
अविनत करि- सीधे खड़े किनारे वाली
पूजो- मत पुजाओ, डालो
मम काकर- मम(शृद्धा वाला) काकर(कंकरीट,कचरा)
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