Sunday, 23 March 2025

For interview

न्यस्ताक्षरा धातु-रसेन यत्र, 
भूर्ज-त्वचः कुञ्जर बिन्दु-शोणाः।
व्रजन्ति विद्याधर सुन्दरीणा-
मनङ्ग-लेख-क्रिययोपयोगम्।। कुमारसंभवम् 1-7

Sunday, 9 March 2025

बुद्ध और स्त्री

स्त्री ही नहीं छोड़ी गयी पुरुष भी,
राजकुमार ने छोड़ा था घर बुद्ध ने नहीं।
हा राजकुमारियां नहीं कर सकती थीं ऐसा।
पर जब पैदा हुआ बुद्ध स्त्री से ही खीर खाकर, स्त्री का किनारा पाकर।
फिर लौटा स्त्री के पास वापिस, और खोल दिये द्वार थेरी होने के लिए आम्रपाली के लिए भी।
और हां, गौतम! जाना गया स्त्री के नाम से ही।

Thursday, 6 March 2025

सोरठा राम

एक ओर वे सुजन, सत्यवादी जातहि सौं।
अनन्त झूठ सुवचन, छल व प्रपंच सब शील।।

दूजे जेइ दुर्जन, महाझूठे जातहि सौं।
अनन्त सच दुर्वचन, कला ज्ञान सब दु:शील।।

Wednesday, 5 March 2025

उठ जा मेरी मुनिया बेटी

                                                                     उठ जा मेरी मुनिया बेटी,

चिड़िया भी, नहीं है लेटी।

चुंकृति चूँ-चूँ चोंच चलाती

उठ-उठ मुन-मुन तुझे जगाती।

 

कैं-कैं किल्-किल् तोता करता,

सुबह सैर पर झुंड निकरता।

मुँह धोकर निकरी सुनहरी,

कुटुर-कुटुर करती इ गिलहरी।

 

उठ जा मेरी मुनिया बेटी!

कनिष्क कुकू कूक है देती।

किरण छा गयी ओढ़ सुनहरी,

खेलने बुलाती चिल्लहरी।

तनुष्का के पापा

Monday, 3 March 2025

नेहरूचरितम्

त।        भ।        ज।      र।   ग
SSI    SII.      ISI.     SIS S
वाग्देवता दलित-दुर्बल-बुद्धि-दोषा,
शब्दार्थ-भाव-रस-रीति-विधान-दक्षा।
हृत्तन्त्रि-ताडन-परायण-पूत-पाणि-
स्तोषाय नो भवतु मञ्जुल-भाव-वेशा।। 

वाग् देवता, जिसके होने मात्र से ही 
हो जाते हैं दलित, दुर्बल बुद्धि दोष सभी।
चर्चित देवता, जिसके शासन में ही
उदय को पाते दलित, दुर्बल, बुद्धि अभी।

शब्दार्थ भाव, रस, रीति विधान दक्ष है जो,
हृद् तन्त्रि ताडन परायण पवित्र पाणि वो।
प्रथम सरसवती वाणी हृदयाह्लाद देती जो,
दूसर नेह रुदित कवि हृदय यारी हारी वो।।

संतोष के लिए पधारे, है मंजुल भाव वेश जो,
अकाल भागे बुद्धि उदर अन्न का, अब मुक्ति हो।
प्रथम आवे सदा मन क्लेश मुक्त कर देती जो,
रामहेत लेत नेह रुदित जन मन मोद देत हो।।