उठ जा मेरी मुनिया बेटी,
चिड़िया भी, नहीं है लेटी।
चुंकृति चूँ-चूँ चोंच चलाती
उठ-उठ मुन-मुन तुझे जगाती।
कैं-कैं किल्-किल् तोता करता,
सुबह सैर पर झुंड निकरता।
मुँह धोकर निकरी सुनहरी,
कुटुर-कुटुर करती इ गिलहरी।
उठ जा मेरी मुनिया बेटी!
कनिष्क कुकू कूक है देती।
किरण छा गयी ओढ़ सुनहरी,
खेलने बुलाती चिल्लहरी।
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