संदेशहरः
वार्ता-विवेक-हीनः
चारणचरः।
पत्रकार को
वार्ता परख नहीं
चारण हैं वो।
***
रेलपथिकः
राष्ट्रः मार्गच्युतः
गृह-गमनम्।
पटरी पंथी
देश है वे-पटरी
घर वापसी।
***
कूपिके बद्धे,
पादयोः पाद्वौ न हा!
धिक् प्रजापते।
बोतलें बंधीं,
पैरों चप्पल नहीं
धिक् सत्ताधीश।
***
रङ्कस्य रै रः
रथ्यायां हा! रोटिकाः
राष्ट्रियो रौति।
रंकधन-प्रेम,
रेल पै हा! रोटियाँ,
राष्ट्र वासी रोय।
***
वहति रंकः
जीवन-गट्ठीं नित्
सहसुतेन।
ढो रहा रंक
जीवन गठरी नित्
सुत ले साथ।
रामहेतगौतमः
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