Monday, 2 August 2021

वन में जाने की चाहत

जंगल में जाना चाहती हो,
जाओ कोई नहीं रोकेगा तुम्हें।
वहां एकांत होगा,
यहां अकेलेपन की क्या कमी है?
वहां झाड़-झंखाड़ होंगे,
यहां उलझने वालों की क्या कमी है?
वहां बन्दर लंगूर होंगे,
यहां उचक्कों की क्या कमी है?
वहां गीदड़ होंगे,
यहां भभकियों की क्या कमी है?
वहां भालू होंगे,
यहां तलवा चाट प्रान लेने वालों की क्या कमी है?
वहां आदमखोर शेर होंगे,
यहां क्या आदमखोरों की क्या कमी है?
फिर भी जाओ,
उनके साथ जीना ज्यादा आसान है।
वहां हवा है,
खुला नीला आसमान है।
झरने हैं,
स्वच्छ सरोवर भी हैं।
शीतल छांव है,
कंद-मूल, फूल-फल, तरु-लताऐं भी हैं।
कंदराएं हैं,
बैठ के सोच सकती हो कि मैं कौन हूं?
Rg

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