गुजर्रा गांव के ग्या प्रसाद गौतम जी के आंगन में एक टूटा चबूतरा मैं बचपन से देखता आया हूं। मैंने अपने दादा भगौनी सिंह जी से बचपन में सुना था कि यहां घिसलनी गांव के लोगों के साथ हुए युद्ध में पति के मारे जाने पर महिला सती हो गई थी। बाद में बड़ा होने पर अपनी दादी ढूमा जी से भी भूत-भुतनिया के किस्से सुने और सावधान किये गये कि सत्ती पर खेलने न जायें। बात आई गई हो गई।
बाद में सांस्कृतिक समझ बढ़ी तो गुत्थियां सुलझ रहीं हैं।
मेरे पिता जी श्री मुलायम सिंह गौतम जी बताते हैं कि वह लड़ाई होरी के डांड़े को लेकर हुई थी। पहले उसी गांव की होरी शुभ मानी जाती थी जिस गांव की होरी में जीत का डांड़ा हो।
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डॉ रामहेत गौतम सहायक प्राध्यापक संस्कृत विभाग डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर मप्र।
8827745548
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