Wednesday, 28 June 2023

ऊँची है जात

पत्थर देव 
पत्थर धर्मभीरू 
पत्थर भक्त। 
कुछ कहां कहेंगे?
ऊँचे, मौन रहेंगे।

ऊंची है जात 
जयकारा न भात 
मारन आत।
मंदिर पे औकात 
बहुजन जानते।

आँखें खोलिए 
जय भीम बोलिए 
स्कूल चलिए।
अक्ल पर ताला है
यहाँ से निकलिए।

मार हथौड़ा 
पत्थर है टूटेगा
पाखण्ड-पाश।
शिक्षित हो भारत
मुक्ति की है जो आश।

Thursday, 22 June 2023

पिता

पीठ की सवारी
हाथी पर भारी,
कंधे पर चढ़ना
किले पर चढ़ना,
बाहों में झूलना
हिंडोले में झूलना,
अंगुली पकड़ना
छत लेके चलना,
कदमों का चलना
सपनों का चलना,
होता है जिसका
वो कोई और नहीं।
तुम ही हो पिता

Wednesday, 21 June 2023

मेरी सीता

खेती मेरी सीता है
रावण घात करता है।
वह खेती नहीं करता 
उसके पुरखों ने भी नहीं की।
झूठ से, लूट से, ठगी से 
हमारी सीता को हर लेता है।
हमारी सीता रोटी है,
जो पेट को शीतल करती है।

Sunday, 18 June 2023

छरहरी छोरी

छरहरी छोरी लहराती चाल,
जाके वाके जो मसकत गाल।rg

ये पंछी गावें 
नित्नित् परोपकार 
तरुवरों के।

दो क्वारीं दो व्याहता, दो विधवा दो बांझ। 
त्यों त्यों जे प्यारीं लगें, ज्यों ज्यों भीजे सांझ।।

Saturday, 17 June 2023

तुम उठो प्रिय संविधान पढ़ो

तुम उठो प्रिय! संविधान पढ़ो, मनुविधान भीम ने तोड़ा है।
मनुविधान भीम ने तोड़ा है,  शिक्षा से नाता जोड़ा है। 

तुम उठो प्रिय संविधान पढ़ो, मनुविधान भीम ने तोड़ा है। 

हाथ प्रिय के कलम सोहे, पुस्तक की छवि प्यारी है। 
प्यारी प्यारी क्या कहिये, संविधान से इज्जत हमारी है। 

तुम उठो प्रिय संविधान पढ़ो, मनुविधान भीम ने तोड़ा है। 

शीश प्रिय के सेहरा सोहे, चश्मे की छवि न्यारी है। 
न्यारी न्यारी क्या कहिये, संविधान से इज्जत हमारी है।

तुम उठो प्रिय संविधान पढ़ो, मनुविधान भीम ने तोड़ा है। 

अंग प्रिय के कोट सोहे, टाई की छवि न्यारी है।
न्यारी न्यारी क्या कहिये, संविधान से इज्जत हमारी है।

तुम उठो प्रिय संविधान पढ़ो, मनुविधान भीम ने तोड़ा है। 

पैर प्रिय के जूता सोहे, मोजे की छवि न्यारी है। 
न्यारी न्यारी क्या कहिये, संविधान से इज्जत हमारी है। 

तुम उठो प्रिय संविधान पढ़ो, मनुविधान भीम ने तोड़ा है। 

संविधान से धनधान्य मिला है, इज्जत बढ़ी हमारी है।
हमारी हमारी क्या कहिये, भीमराव की बलिहारी है।

तुम उठो प्रिय संविधान पढ़ो, मनुविधान भीम ने तोड़ा है। 


Friday, 16 June 2023

बुनियादी भूल

ईशावास्यमिदं सर्वं रटते हुए भी
किसी को बराबरी पर न देख पाना 
बुनियादी भूल है।
शुक है, शुकविद्या है,
बहेलिये का साधुवेश फिजूल है।

Monday, 12 June 2023

कंधे पर

पिता कंधे पर उठाता है मेले में,
भाई कंधे पर उठाता है झमेले में,
प्रिय कंधे पर उठाता है अकेले में 
दुनिया कंधे पर उठाती है खेले में।

Sunday, 11 June 2023

क्यों जाननी है आपको मेरी जाति?

क्यों जाननी है आपको मेरी जाति?
शायद, ताकि आप तय कर सकें कि 
मैं आपसे मेल-जोल लायक हूँ या नहीं।
तो फिर आप दूर ही रहिए क्योंकि 
यह भावना भारतीय एकता के खिलाफ है।
इस भयानक रोग को रोका जाना चाहिए। 
बोलो हम सब भारतीय हैं, हम सब एक हैं।

मत पूछ जाति किसी की, 
परवरिश का पता चल जाता है,
खटास की एक बूंद से 
सारा मीठा दूध फट जाता है।
एक मछली सारे तालाब को 
गंदा कभी नहीं करती।
एक जातिवादी सारे कुल को 
कलंकित कर जाता है।

जब तक जाति पर गौरव किया जाता रहेगा, 
तब तक भारत विखण्डित ही रहेगा।
विखण्डित राष्ट्र हो या परिवार 
लुटेरों के लिए आसान शिकार बना रहता है।

क्या कहा? 
अपनी जाति पर गौरव करने से 
राष्ट्र विखण्डित कैसे हो सकता है,
तो सुनो,
जब भी तुम अपनी जाति पर गौरव करते तो
सबसे पहले तो राष्ट्रीयता को गौण बना देते हो।

जब भी तुम अपनी जाति पर गौरव करते तो
सबको जता देते हो कि इस परिधि में तुम नहीं आते हो।

हवा में घुला जहर चारों तरफ फैल जाता है,
वेहोश लोगों को मारना कहां कठिन रह जाता है।

घर जल जाता है नादानी में
इंसान धुंए में लट्ठ भांजता रह जाता है।

उठो, 
खून है भारत का तो
नादानी छोड़ो,
सबको प्रेम से जोड़ो।

Thursday, 8 June 2023

शोषण

न पांच हजार साल न ही सौ साल
नजर डालिए हो रहा जो आजकल। rg