डॉ . रामहेत गौतम का
जन्म 09 जनवरी 1980 को
पिता श्री मुलायम सिंह गौतम व
माता श्रीमती लीलावती सिंह गौतम
के घर ग्राम गुजर्रा ( सम्राट अशोक का लघु शिलालेख स्थल ) पो . परासरी जिला दतिया म.प्र . में हुआ। आपने एम.ए. संस्कृत साहित्य ,
यू.जी.सी. नेट व
पीएच - डी , की उपाधि प्राप्त की।
भाषा ज्ञान- पालि, संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी
लिपिज्ञान -धंम लिपि लेखन-पाठन
वर्तमान समय में आप डॉ . हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर ( म.प्र . ) के संस्कृत विभाग में सहायक प्राध्यापक के रूप में 28.05.2013 से कार्यरत हैं।
आपकी
01 पुस्तक,
06 सह सम्पादित पुस्तकें व
30+ शोध - पत्र,
10+संस्कृत कविताएं प्रकाशित, 100+ अप्रकाशित,
10+हिन्दी कविताएं प्रकाशित, 100+ अप्रकाशित,
लघुकथाएं - 01
संस्मरण- 05 अप्रकाशित
पुस्तक अध्याय प्रकाशित - 10+
साहित्य अकादमी प्रकाशित 01
IGNU से 01
आपकी शोध 60+ संगोष्ठियों,
मंचीय व्याख्यान- 5+
आमंत्रित व्याख्यान- 15+
आयोजन- सेमीनार 02
कोर्सवर्क- 01
विशेष व्याख्यान 05+
05+ कार्यशालाओं में सहभागिता रही है।
सफल छात्र-
सहायक प्राध्यापक- 02(रविन्द्र पंत, निकिता यादव)
हायर सेकडरी व्याख्याता- 03(रामप्रकाश, शिल्पी, सूर्यकांत, प्रदीप, जितेन्द्र, रुक्मणी,
हाईस्कूल- राजेन्द्र आलमपुर, गोविंद सिंह देभई, मनीषा टेड़ा मोहनपुरा,
पारिवारिक सदस्य- भानसिंह, पहलवान, संजीव, राजकुमार, विजय
सम्मान-
रजत पदक शिक्षा हेतु
संस्कृत सेवी, साहित्य हेतु
अभिरुचि-
अअध्ययन-अध्यापन, समाजसेवा , प्राकृतिक एवं सामाजिक पर्यावरण के प्रति जागरुकता का कार्य, बौद्धसाहित्य एवं दर्शन का अध्ययन में आपकी विशेष अभिरुचि है।
रामहेत शब्द श्रमण परंपरा का शब्द है।
रामहेत का अर्थ है वह जातक जो सबके प्रति मैत्रीभाव रखता है।
दशरथ जातक कथा में राम पंडित एक बोधिसत्व का नाम है जो लोकहित के लिए जीवन यापन करता है। उसका न किसी से राग है और न ही किसी से द्वेश। वह मध्यमार्गी है। यह राम एक जातक है। प्रज्ञावान है अतः पंडित है।
न हि वेरेन वेरानि संमंतीध कुदाचनं
अवेरेन च संमंतीध एस धंमो सनंतनो।
का अनुगामी है।
अवेर अर्थात शत्रुता का अभाव मैत्रीभाव।
वर्तमान में भी बुंदेली में हेत का अर्थ भी मैत्री ही है। जैसे कि हेत लगाना।