Friday, 15 September 2023

प्रेमरस

जो तुम लिख देते, प्रेम रस विहारि,
काहे को पंद्रह पेज देते रे! बिगारि।
ढोल पीट ढोर न हांकते, इ गलियारि
जो तुम लिख देते प्रेम-रस विहारि।।

No comments:

Post a Comment