Thursday, 28 August 2025

स्कूल या मंदिर

एक बार एक बालक अपनी मां से जिद कर बैठा कि मां मैं स्कूल नहीं जाऊंगा, मैं तो तेरे साथ रोज मंदिर चलूंगा। तब मां ने कुछ भी नहीं कहा, और उसे लेकर अंदर गयी और दही जमाने के लिए रखे दूध को पके हुए घड़े में न डालकर बगल में रखे कच्चे घड़े में डाल दिया और काम में लग गई। कुछ देर बाद बालक दौड़कर आया और बोला मां दूध तो बर्बाद हो गया क्योंकि घड़ा गल गया। आपको पके हुए घड़े में डालना था। तब तक लड़के के पिता भी आ चुके थे। वह बोले ये क्या मूर्खता है। घड़ा और दूध दोनों बर्बाद कर दिए। बेटा भी पापा की हां में हां मिलाने लगा। तब धीरे से मां बोली तू भी तो कच्चा घड़ा है, अभी से तुझमें अपना अमूल्य धर्म भरेंगे तो तू और धर्म दोनों बर्बाद हो जायेंगे। इसीलिए कहती हूँ  कि तेरे लिए अभी सिर्फ विद्यालय में तपने का समय है। जा स्कूल जा। रोज मंदिर जाने के लिए मैं हूँ न। 
लघुकथा 
डॉक्टर रामहेत गौतम 

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