वाह रे कलाकार! क्या भ्रम थमाया है तूने, लगा बैठता है कलेजे से इंसान भला उसे, छीन लेता है वापस उसे रम जाता है जब वह उसमें, रह जाता है वह भी वैसा ही जैसा आया था इस सागर तट पर।
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