Thursday, 14 February 2019

वीर सिपाही को नमन् ।

हे प्रेमवीर! हे दानवीर! हे बलवीर!
सर्वस्व समर्पित है किया तुमने।
हे भारत रक्षक! हे वीर सिपाही!
नमन् तुम्हें, नमन् तुम्हें, नमन् तुम्हें।।

हे सुजन मात-पिता के लाल!
सुफल सुकृत है किया तुमने।
हे भारत रक्षक! हे वीर सिपाही!
नमन् तुम्हें, नमन् तुम्हें, नमन् तुम्हें।।

जब यौवन छलका था तुम्हारा
देश धरा को निहारा था तुमने।
हे भारत रक्षक! हे वीर सिपाही!
नमन् तुम्हें, नमन् तुम्हें, नमन् तुम्हें।।

कलियाँ थाम रहे थे युगलप्रेमी,
स्वकर  बन्दूक थामी थी तुमने।
हे भारत रक्षक! हे वीर सिपाही!
नमन् तुम्हें, नमन् तुम्हें, नमन् तुम्हें।।

जब कामुकता के पल्लव आते
रक्षा संकल्प संजोया था तुमने।
हे भारत रक्षक! हे वीर सिपाही!
नमन् तुम्हें, नमन् तुम्हें, नमन् तुम्हें।।

जिन हाथों खुलते केश प्रिया के,
निजशीष कफन बांधा था तुमने।
हे भारत रक्षक! हे वीर सिपाही!
नमन् तुम्हें, नमन् तुम्हें, नमन् तुम्हें।।

जब लोग प्रेयसी में खोए हुए थे,
माथा मातृभूमि का चूम था तुमने।
हे भारत रक्षक! हे वीर सिपाही!
नमन् तुम्हें, नमन् तुम्हें, नमन् तुम्हें।।

हे प्रेमवीर! हे दानवीर! हे बलवीर!
सर्वस्व समर्पित है किया तुमने।
हे भारत रक्षक! हे वीर सिपाही!
नमन् तुम्हें, नमन् तुम्हें, नमन् तुम्हें।।

तव कीर्तिकार
डाॅ रामहेत गौतम, सहायक प्राध्यापक,संस्कृत विभाग, डाॅ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर मप्र ।

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