हाँ लड़ाकों की इस भीड़ में
कुछ निकम्मे भी होते हैं।
स्वार्थी कौओं की भाँति
वीरों की पीठ सवार होते हैं।
गिरते हैं जब योद्धा धरा पर
नोंच-नोंच वह खाते हैं।
मत देखो कायरों को तुम
वीर! वीरों के साथ आओ।
आओ साथ लड़ो हमारे,
लड़ न सको तो खड़े रहो।
पहचाने जाने का डर है,
पीछे-पीछे धीरे से आओ।
इतना भी नहीं कर सकते,
तो घर रहो और सो जाओ।
पर जो लड़ रहे हैं सड़कों पे,
उनका मनोबल न गिराओ।
सफल हुए तो मान मिलेगा
वर्ना लड़ने का ज्ञान मिलेगा।
मन में मथो बात गौतम की,
समझदारी कुंजी जीवन की।
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