हाथ को हंसिया चाहिए
हाथ को हंसिया चाहिए
क्योंकि
हंसिया चलता है तो
हंसी बिखरती है,
तब मंगल मनता है।
लेकिन
देखो तो चारों तरफ
चन्द्रहास उग आया है,
अट्टहास हो रहा है,
हंसी गुम रही है,
अमंगल छा रहा है।
फिर भी उम्मीद है कि
अमंगल छटेगा धुन्ध की तरह,
फिर बोया जायेगा
मंगल खेतों में,
फिर होगा साथ
हाथ और हंसिये का,
और खलिहान में सजेगी
मंगल की फसल।
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