हारा है? हे राम!
जीता नाथूराम?
हिंसा की वो टोली,
गांधी खाये गोली।
नेता बोलें बोली,
युवा चालें गोली।
पुनः भक्तराम,
फिर कुहराम।
भ्रमित जवानी
जहर खुरानी
धीरे-धीरे खोती
अहिंसा की वानी।
दावानल ने वन,
बड़वानल जल
बख्शे हैं कब-कब?
नफ़रत ने नर।
अहिंसा जो चाहो
बुद्ध वीर गाओ
प्रेम दोहराओ
मानव हो जाओ।
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