विचार आया कि पहली सेलरी सबसे पहले कहां खर्च करना चाहिए?
विचार तैरने लगे-
1. मंदिर में पर विचार आया बचपन से अब तक मंदिर से कॉपी-किताब नहीं आयी, पिता लकड़ी बेचने के बाद खरीद कर लीये थे। वह लकड़ी भी बंजर जमीन के झाड़झंकड़ से निकाल रहे थे तभी उनको ततैयों ने काट लिया था, वदन छिल गया था सो अलग। गट्ठर लेकर भुनसारे 4 बजे निकले थे झाँसी की गलियों में बेचने के लिए, डर था कि वर्रखा न मिल जाये, हुआ वही वर्रखा ने पीछा कर लिया, डर कर खूब साइकिल तदेरी पर बजन लेकर दूल्हेराजा की घटिया न चड़ सके हांपनी छूट गई, वर्रखा ने पीछे से लाठी मारी, और चिल्लाया कायरे को है?
लड़खड़ा कर गिरने से छिले घुटने को पंचा से कंकड़ झाड़ते हुए- दाऊ मैं हों मुलाम।
चैरिया बैल
आगे अगली बार
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